चिपकों वुमैन के गांव में पर्यावरण से खिलवाड़, कोर्ट ने तलब की रिपोर्ट

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देहरादून। संवाददाता। चिपको आन्दोलन की धरती रैणी गांव में पर्यावरण को खतरे पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने रैणी गांव के आस पास किए जा रहे विस्फोट पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य प्रदूषण बोर्ड और डीएम चमोली को आदेश दिया है कि वे एक संयुक्त टीम बनाकर रैणी के आस पास पर्यावरण को हुए नुकसान का आंकलन करें और दो हफ्तों के भीतर इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।

ग्रामीणों से छल

बता दें कि रैणी गांव के कुंदन सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उनके वकील अभिजय नेगी ने बताया कि 2005 में ऋषि गंगा नदी पर पावर प्रोजेक्ट स्थापित किया गया था। इसके साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार और दूसरी सुविधाओं का वादा किया गया था। लोगों से किये गये वादे पूरे नहीं हुए। इससे उलट, पॉवर प्रोजेक्ट के लिए किये जा रहे निर्माण कार्यों की वजह से नंदा देवी बायो स्फेयर रिजर्व एरिया को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

नेगी के अनुसार ब्लास्टिंग की वजह से वन्य जीव परेशान हैं और वे भागकर गांवों की ओर आ रहे हैं. हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट बना रही कंपनी ने नदी किनारे स्टोन क्रशर यूनिट लगा दिए हैं। गांववालों को उस हिस्से में जाने से रोक दिया गया है, जहां गौरा देवी ने कभी पेड़ों को गले लगाया था। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि प्रोजेक्ट के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, साथ ही चिपको आंदोलन के वन मार्ग को बंद करने से ग्रामीण आहत हैं।

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