यूपी के माइनिंग घोटाले में अब बढ़ सकती है अखिलेश यादव की मुश्किलें

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दिल्ली। उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में हुए अवैध माइनिंग घोटाले की सक्रियता से जांच कर रही सीबीआई टीम को कई ऐसे अहम सबूत मिले हैं, जो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। इस केस में क्लर्क से लेकर पूर्व डीएम और मंत्री तक के ठिकानों पर की गई छापेमारी में जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उनकी मदद से केस की विभिन्न कड़ियों को जोड़ा गया है। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि माइनिंग घोटाले में छापे या पूछताछ के लिए अब अखिलेश यादव की घेरेबंदी की आशंका बढ़ गई है।

वजह, माइनिंग के करीब डेढ़ दर्जन टेंडर को अखिलेश यादव के सीएम रहते हुए मंजूरी दी गई थी। बुधवार को बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह के आवास पर मारे गए छापे में सीबीआई को ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जो इस केस को तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर ले जा रहे हैं। दस्तावेजों में कुछ सिफारिशी पत्र, ओवरराइटिंग वाले कई पन्ने, एक ही पन्ने पर अलग अलग स्याही से हस्ताक्षर और कटिंग जैसे अहम सबूत शामिल हैं। कच्चे कागज पर रुपयों की एंट्री वाला दस्तावेज भी जांच एजेंसी के हाथ लगा है।

जांच एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि इस केस की जांच काफी आगे निकल गई है। साल 2012 और 2016 के बीच करीब 24 टेंडर पास किए गए थे। इनमें से दो तिहायी टेंडर उस वक्त जारी हुए, जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। उस दौरान माइनिंग विभाग मुख्यमंत्री यादव के पास था। बाकी टेंडर माइनिंग महकमे के मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के कार्यकाल में जारी हुए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज करने के बाद सीबीआई ने सबसे पहले हमीरपुर की तत्कालीन जिला मैजिस्ट, बी.चंद्रकला (2008 बैच की आईएएस) के यहां छापे मारे थे।

बी.चंद्रकला का नाम मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की गुड बुक में ऊपर बताया जाता है। वे बिजनौर और मेरठ की भी डीएम रही हैं। सीबीआई ने गत जनवरी में दिल्ली, गाजियाबाद, अमेठी, लखनऊ और हमीरपुर सहित कई जगहों पर छापेमारी की थी। उस दौरान जांच एजेंसी ने यह खुलासा किया था कि हमीरपुर में शासन-प्रशासन के नुमाइंदों ने अपने ड्राइवरों तक को अवैध माइनिंग में वसूली करने की छूट दे रखी थी। यहां तक कि वाहन मालिकों और लीज होल्डरों से भी वसूली की गई। जांच एजेंसी ने इस मामले में गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर भी रेड डाली थी।

खनन विभाग के बाबू के घर से सीबीआई ने दो करोड़ रुपये नकद और दो किलो सोना बरामद किया था। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई के पास अब इस मामले में पर्याप्त सबूत हैं। चूंकि ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है, इसलिए दोनों एजेंसियों ने अपने अपने स्तर पर केस को इसके अंजाम तक पहुंचाने के लिए ठोस दस्तावेज जुटा लिए हैं। इसी आधार पर अब जल्द ही अखिलेश यादव से पूछताछ शुरू हो सकती है। पूछताछ के लिए सीबीआई और ईडी, दोनों एजेंसियों की ओर से समन भेजा जाएगा।

संक्षेप में ऐसे समझें माइनिंग घोटाले को
2012-2016 के बीच हमीरपुर माइनिंग साइट पर सभी तरह के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई। नियमों के खिलाफ जाकर माइनिंग का टेंडर जारी किया गया

एनजीटी ने उक्त अवधि के दौरान कुछ समय के लिए किसी भी तरह की माइनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद तत्कालीन जिला मैजिस्ट, बी.चंद्रकला और उस वक्त माइनिंग महकमे की मंत्री रही गायत्री प्रजापति व दूसरे ओहदे पर बैठे लोगों ने एनजीटी के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन किया

रोक की अवधि के दौरान अवैध तरीके से माइनिंग के टेंडर जारी हुए। न केवल नए टेंडर, बल्कि पुराने टेंडर का भी नवीनीकरण कर दिया गया। बड़े ओहदे पर बैठे लोगों के ड्राइवरों को लीज होल्डरों से फिरौती मांगने की छूट दे दी गई।

जो पैसा नहीं देता, उनकी गाड़ियों को अंदर नहीं जाने दिया गया ड्राइवरों ने जमकर उत्पात मचाया। रात के समय ये ड्राइवर अपने लोगों को किसी भी माइनिंग साइट पर भेज देते थे। वहां वे डंपर और ट्रैक्टर-ट्राली लगाकर उससे भरने लगते थे।

सीबीआई ने इस मामले में आईपीसी की धारा 120बी, 379, 384, 420 और 511 के तहत केस दर्ज किया था। पांच जनवरी को हमीरपुर, जालौन, नोएडा, कानपुर और लखनऊ में छापे मारे गए। आरोपियों के कब्जे से भारी मात्रा में सोना और नकदी बरामद की गई।

जिला मजिस्ट्रेट ने बिना ई-टेंडरिंग किए ही साइट अलॉट कर दी थी, जबकि माइनिंग का टेंडर केवल ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत अलॉट किया जाना था। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस नियम की कोई परवाह नहीं की। मैनुअली तरीके से माइनिंग का टेंडर दे दिया गया।

दो जनवरी 2019 को सीबीआई ने जो अपराधिक मामला दर्ज किया था, उसमें बी.चंद्रकला सहित 11 आरोपियों के नाम थे। इसमें सपा और बसपा के दो नेता, कई बाबू और माइनिंग के टेंडर दिलाने वाले कथित दलाल भी शामिल थे

अवैध खनन की शिकायत जो इलाहाबाद हाईकोर्ट को मिली थी, उसमें हमीरपुर के अलावा फतेहपुर, देवरिया, शामली, कौशांबी, सहारनपुर और सिद्धार्थनगर में अवैध खनन का मामला सामने आया था।

जनवरी में आईएएस बी चंद्रकला के लखनऊ स्थित फ्लैट सहित 14 स्थानों पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी कानपुर, लखनऊ, हमीरपुर, जालौन, नोएडा में भी हुई थी।

एक आरोपी मोइनुद्दीन के घर से 12.5 लाख कैश, 1.8 किलो सोना मिला था, समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा, इनके भाई दिनेश कुमार मिश्रा, माइनिंग क्लर्क राम आसरे प्रजापति और अंबिका तिवारी के यहां भी छापे पड़े थे।

संजय दीक्षित पर भी केस दर्ज हुआ है। वे 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। संजय के पिता सत्यदेव दीक्षित के घर भी छापेमारी हुई।

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