बंगाल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष

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दिल्ली। पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी और भाजपा नेता भारती घोष ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। वह पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने का आदेश देने के लिए अदालत पहुंची हैं। घोष का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले जैसे ही वह भाजपा में शामिल हुईं उनके खिलाफ फर्जी मामलों में 10 एफआईआर दर्ज की गईं।

उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद उनके खिलाफ चार और एफआईआर दर्ज की गईं। पश्चिम बंगाल सरकार ने उनकी याचिका का विरोध किया है और कहा है कि उच्चतम न्यायालय मामले में दखल नहीं दे सकता है और यह उचित होगा यदि घोष की याचिका को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि मामले पर सुनवाई की जरूरत है और इसे 28 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर लिया।

अदालत में घोष का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि घोष के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए गए हैं और वह चाहती हैं कि सभी मामलों को एक स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित कर दिया जाए। पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे कपिल सिब्बल ने याचिका का विरोध किया और कहा कि अदालत मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती और यह उचित होगा यदि घोष की याचिका को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए।

अदालत की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई करेगी और 19 फरवरी को शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण अगले आदेश तक जारी रहेगी। घोष को एक समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता था। उन्होंने पहले दावा किया था कि पुलिस ने उनके खिलाफ 10 एफआईआर दर्ज की हैं जिसमें कथित जबरन वसूली और सोने के बदले प्रतिबंधित नोटों का अवैध आदान-प्रदान शामिल है।

उच्चतम न्यायालय का कहना है कि अगले आदेश तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी और मामले को तीन सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया। वहीं बंगाल सरकार का दावा है कि उसके पास घोष के खिलाफ ठोस सबूत हैं। जिससे यह साबित हो जाएगा कि वह जबरन वसूली और सोने के लिए प्रतिबंधित नोटों के अवैध आदान-प्रदान में शामिल थीं। सरकार का कहना है कि उसके पास बातचीत का रिकॉर्ड है जिससे उनकी और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी की भूमिका साबित हो जाती है।

पिछले साल एक अक्तूबर को अदालत ने उन्हें जबरन वसूली और सोने के बदले प्रतिबंधित नोटों के अवैध आदान-प्रदान मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था। घोष का दावा है कि 2016 के मामले में उनके खिलाफ सात एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस साल चार फरवरी को घोष केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुई थीं। तब उन्होंने आरोप लगाया था कि बंगाल में ‘ठग लोकतंत्र’ ने लोकतंत्र की जगह ले ली है।

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