पिथौरागढ के दुर्गम क्षेत्रों में बीएसएनएल टू जी पहुंचने से लोग खुश

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पिथौरागढ़। संवाददाता। देश में भले ही 5जी शुरू करने की कवायद तेज चल रही हो, लेकिन सुदूर गावों में बसे लोग अब भी बेसिक 2जी मोबाइल सेवा के लिए तरस रहे हैं। यही हाल पिथौरागढ़ के कुछ गांवों का है। पिथौरागढ़ की मुनस्यारी तहसील के होकरा क्षेत्र में ग्रामीणों का संघर्ष रंग लाया। जब यहां पहली बार बीएसएनएल का सिग्नल पहुंचा तो ग्रामीण खुशी से झूम उठे। होकरा क्षेत्र के 3 गांवों के 80 ग्रामीणों ने 15 से 21 जुलाई तक संचार सेवा के लिए बीते दिनों भूख हड़ताल की थी।

पहली बार पहुंची बीएसएनएल की 2जी सेवा
बीएसएनएल ने होकरा, खोयम और गौला गांवों को संचार सेवा से जोड़ दिया है। इन तीनों गांवों में पहली बार बीएसएनएल की 2जी सेवा पहुंची है। करीब 4 हजार की आबादी वाले इन गांवों को पहली बार संचार सेवा तो मिली ही, साथ ही टू-जी सर्विस मिलने से इंटरनेट से भी यहां के लोग जुड़ गए हैं। भले ही अभी इंटरनेट की स्पीड काफी कम हो, लेकिन ग्रामीण इसका भी फिलहाल जमकर मजा उठा रहे हैं।
सिग्नल मिलते ही पूरे गांव को टॉफी खिलाई होकरा के ग्राम प्रधान सुंदर सिंह मेहता ने मोबाइल सिग्नल पहुंचते ही पूरे गांवों के लोगों को टॉफी खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। मेहता बताते हैं कि उनका क्षेत्र प्राकृतिक रूप से अतिसंवेदनशील हैं, यहां अक्सर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। लेकिन संचार सेवा नही होने के कारण वो प्रशासन को घटनाओं की सूचना भी नहीं दे पाते थे, जिस कारण लोगों को राहत मिलने में खासा वक्त लग जाता था। यही नहीं गर्भवती और बीमार लोगों के लिए वे संचार सेवा के अभाव में आपात सेवाओं का भी लाभ नहीं उठा पाते थे।

सांसद ने लोकसभा में उठाया था मुद्दा
देश में भले ही फाइव-जी शुरू करने की कवायद तेज चल रही हो, लेकिन सीमांत में बसे लोग मोबाइल में बात करके ही खुश हैं। पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्रों में आज भी दर्जनों गांवों ऐसे हैं, जिनके लिए संचार सेवा एक सपना बनी हुई है। क्षेत्रीय सांसद अजय टम्टा ने भी इस मुद्दे को लोकसभा में उठाते हुए कहा था कि उनके क्षेत्र में अधिकांश जगहों पर संचार सेवा नहीं है और ज्यादातर हिस्सों में सिर्फ बीएसएनएल की ही सेवा है। लेकिन कुछ समय से बीएसएनएल की वित्तीय हालत बिगड़ने से संचार सेवा और अधिक खराब होती जा रही है।

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