भगवान भरोसे चल रहा पिथौरागढ़ का आपदा प्रबंधन विभाग

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पिथौरागढ़। संवाददाता। चीन और नेपाल सीमा से सटा पिथौरागढ़ उत्तराखंड के उन जिलों में शुमार है, जहां प्राकृतिक आपदाएं अक्सर घटती हैं। शायद ही ऐसी कोई बरसात हो, जब यहां के लोगों को प्रकृति के कहर से दो-चार न होना पड़ता हो। लेकिन हैरानी इस बात है कि आपदाग्रस्त जिले में सबसे अहम भूमिका निभाने वाला जिला आपदा प्रबंधन विभाग ही यहां राम भरोसे चल रहा है।

हालात ये हैं कि विभाग में एक भी नियमित कर्मचारी मौजूद नहीं है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद बीते 6 माह से खाली पड़ा है। प्रशासन ने काम-चलाऊ व्यवस्था के तहत युवा कल्याण और सेवायोजन अधिकारी को डीडीएमओ (जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी) की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी हुई है। सवाल ये खड़ा होता है कि जिन अधिकारियों का आपदा के बारे में कोई जानकारी ही नही है, वे कैसे आपदा के समय लोगों को राहत पहुंचा पाएंगे।

कुछ ऐसा ही हाल निचले स्तर के कर्मचारियों का भी है। विभाग का काम चलाने के लिए आउटसोर्स के जरिए 5 कर्मचारी तैनात किए गए हैं लेकिन इन कर्मचारियों को भी आपदा जैसे संवेदनशील मामलों की कोई जानकारी नही है।

आपदा के लिहाज से जिले की धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट तहसील सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं. इस बार भी इन तहसीलों में आए दिन भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं. सड़कें महीनों से बंद हैं। कई लोग प्राकृतिक हादसों के शिकार हो गए हैं लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग कहीं नजर नहीं आता है। रस्म-अदायगी के तौर पर संचालित हो रहे आपदा विभाग की खस्ता हालत से प्रभावितों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। स्थिति इतनी खराब है कि सडकों के बंद होने की सूचनाएं भी जनसामान्य तक नहीं पहुंचा पा रहीं हैं।

एडीएम आरडी पालिवाल का कहना है कि स्थाई डीडीएमओ की नियुक्ति को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. शासन स्तर पर ही डीडीएमओ की नियुक्ति होनी है जबकि निचले स्तर पर विभाग में काम चलाने के लिए आउटसोर्स के जरिए 5 लोगों की तैनाती की गई है और अन्य विभागों के अधिकारियों को डीडीएमओ की जिम्मेदारी दी गई है।

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