उत्तरप्रदेश की कार्यदायी संस्था उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम ने पिछले पांच साल कैसे लूटा प्रदेश को?जानने को पढ़ें यह रिपोर्ट-रविंद्र बड़थ्वाल

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उत्तराखंड में सरकार के जिम्मेदार लोग नियमों को ताक पर रखकर उत्तरप्रदेश की कार्यदायी संस्था उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) पर मेहरबान रहे हैं। नतीजा 800 करोड़ से ज्यादा के घपले के रूप में सामने आया है। ऑडिट ने पिछले पांच वर्षों में यूपीआरएनएन पर बरसी मेहर को बेपर्दा कर दिया है। 

देहरादून : विकास कार्यों के लिए पाई-पाई को तरस रहे और कर्ज लेकर कर्मचारियों के वेतन-भत्ते और पेंशन देने को मजबूर उत्तराखंड में सरकार के जिम्मेदार लोग नियमों को ताक पर रखकर उत्तरप्रदेश की कार्यदायी संस्था उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) पर मेहरबान रहे हैं। नतीजा 800 करोड़ से ज्यादा के घपले के रूप में सामने आया है। ऑडिट ने पिछले पांच वर्षों में यूपीआरएनएन पर बरसी मेहर को बेपर्दा कर दिया है।

संस्था ने अच्छे प्रोक्योरमेंट नियमों का दंभ भरने वाले उत्तराखंड राज्य में ही इन नियमों के साथ ही अपने वर्क मैनुअल की धज्जियां उड़ाते हुए सिडकुल में करीब 650 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितता की, जबकि सेंटेज के रूप में 100 करोड़ से ज्यादा धनराशि वसूल की। संस्था की हिम्मत देखिए ब्याज और अवशेष बची करीब 50 करोड़ की राशि को सरकार को वापस करने के बजाए खुद ही दबा लिए।

ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा के दौरान यह सत्य सामने आने पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सकते में आ गए। उन्होंने सभी संबंधित महकमों को अवशेष ब्याज और पूर्ण योजनाओं की धनराशि की गणना विभागीय स्तर पर करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद यूपीआरएनएन से उक्त धनराशि की वसूली की कार्रवाई होगी।

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चहलकदमी कर रही भाजपा सरकार ने यूपीआरएनएन के कारनामों से नाखुश होकर बीते मई माह में उसे नए कार्यों को देने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सरकार ने निगम को बड़ा झटका देते हुए बीते पांच वर्ष 2012 से 2017 की अवधि में उसे विभिन्न महकमों और उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) की ओर से सौंपे गए सभी निर्माण परियोजनाओं का स्पेशल ऑडिट कराने के आदेश दिए थे।

सिडकुल में विस्तृत स्पेशल ऑडिट अभी जारी है, लेकिन सरकार को जो ऑडिट रिपोर्ट मिली है, उसने यूपीआरएनएन में बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताएं पकड़ में आई हैं। इससे खुद सरकार भी हैरान है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बीती 20 नवंबर को आहूत विभागीय आला अधिकारियों के साथ बैठक में इस रिपोर्ट की समीक्षा की।

यह मामला सीएजी के संज्ञान में भी है। बैठक में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के आला अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्य सचिव ने उन्होंने ऑडिट में पकड़ी गई अनियमितता को लेकर संबंधित महकमों को तकनीकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद यूपीआरएनएन की ओर से अनियमित रूप से प्रयुक्त धनराशि पर नियमों के मुताबिक कार्यवाही की जाएगी।

सिडकुल में बरसी खास मेहर

यूपीआरएनएन ने सिडकुल में प्रोक्योरमेंट नियमों के साथ ही अपने वर्क मैनुअल पर अमल नहीं किया, इसमें  करीब 700 करोड़ से ज्यादा वित्तीय अनियमितता, इस मामले में यूपीआरएनएन ने अपने बोर्ड की मंजूरी मिलने का जिक्र किया है। ऐसा क्यों किया गया, इसका संतोषजनक तर्क नहीं। सिडकुल मामले में स्पेशल ऑडिट अभी जारी है।

खास बात ये है कि यूपीआरएनएन को दिए गए हर निर्माण कार्य के शासनादेश में प्रोक्योरमेंट नियमों का पालन करने की हिदायत दी गई है, लेकिन उत्तरप्रदेश की कार्यदायी संस्था के नाम पर उत्तराखंड के प्रोक्योरमेंट नियमों को लागू नहीं करने के मामले में राज्य की सरकारी मशीनरी भी सवालों के घेरे में है।

यूपीआरएनएन को सेंटेज में भी राहत दी गई, इससे करीब 100 करोड़ की अनियमितता बरती गई, 2012 से पहले यूपीआरएनएन सेंटेज में छूट देता रहा, लेकिन बाद में यह छूट समाप्त की गई। काम के एवज में लिए जाने वाले छह फीसद सेंटेज में दी जाने वाली छूट खत्म करने पर ऑडिट में सवाल खड़े किए गए हैं।

देहरादून इकाई एक, हल्द्वानी इकाई, श्रीनगर इकाई, विद्युत इकाई अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ इकाई, टिहरी इकाई व हरिद्वार इकाई ने योजनाओं स्वीकृत धनराशि से 4.37 करोड़ से ज्यादा खर्च किया।

11 परियोजनाओं के इस्टीमेट को दोबारा स्वीकृति से लागत में हुई 587.32 करोड़ की वृद्धि, योजनाएं समय पर पूरी करने की स्थिति में लागत में इजाफा नहीं होता।

निर्माण योजनाओं के लिए मिली धनराशि पर ब्याज से प्राप्त 32.89 करोड़ से ज्यादा राशि सरकार को नहीं दी, इनमें निम्न इकाइयां शामिल हैं। राशि करोड़ में-

हरिद्वार-1.31, देहरादून इकाई एक-4.98, देहरादून इकाई दो-2.78, देहरादून इकाई तीन-0.86, देहरादून इकाई चार-4.88, देहरादून इकाई पांच-6.15, टिहरी-1.74 व श्रीनगर-2.00, हल्द्वानी-1.78, रुद्रपुर-1.85, पिथौरागढ़-3.91, अल्मोड़ा-1.60, काशीपुर-0.38, विद्युत इकाई अल्मोड़ा-1.14, विद्युत इकाई श्रीनगर-0.76, विद्युत इकाई हरिद्वार-1.57, चमोली-0.21, पौड़ी गढ़वाल-0.56, रुड़की-0.42।

पूर्ण योजनाओं की अवशेष राशि 10.57 करोड़ से ज्यादा नहीं लौटाई, इनमें ये इकाइयां शामिल हैं। 

हरिद्वार-0.60, देहरादून इकाई एक-1.02, देहरादून इकाई चार-2.06, टिहरी-3.31, श्रीनगर विद्युत इकाई-0.38, हल्द्वानी-0.73, रुद्रपुर-1.82, पिथौरागढ़-0.20, अल्मोड़ा-0.11, श्रीनगर इकाई-0.28। (इसमें अंतर्राष्ट्रीय खेल कॉम्प्लैक्स की अप्रयुक्त अवशेष 38.15 लाख भी शामिल)-साभार-दैनिक जागरण  

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