उत्‍तराखंड में अब तक सात मामले दर्ज, 10 वर्ष की कैद का प्रावधान

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रानीखेत: उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तर्ज पर धर्मांतरण विरोधी कानून को सख्त बनाने के बावजूद मामले थम नहीं रहे हैं। पर्वतीय राज्य में वर्ष 2018 में कानून लागू होने के बाद से अब तक सात मामले दर्ज हो चुके हैं।

इस कानून को सख्त बनाने के बाद इसी साल अप्रैल में ऊधमसिंह नगर जनपद के बाद रानीखेत में धर्मांतरण एक्ट का यह दूसरा मामला सामने आया है। इसके तहत जबरन या प्रलोभन देकर धर्म बदलने के लिए बाध्य करने वाले को दस वर्ष की कैद का प्रावधान है।

उत्‍तराखंड में 2018 में बना धर्मांतरण कानून

  • पर्वतीय प्रदेश में धर्मांतरण कानून 2018 में बना। तब इसमें जमानत संभव थी।
  • कानून में लचीलापन होने के कारण प्रदेश की धामी सरकार उप्र की योगी सरकार की भांति इसे सख्त बनाने के लिए संशोधन विधेयक लायी। 2022 आखिर में इसे राज्यपाल ने स्वीकृति दी।
  • विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल कर इसे कड़ा किया गया।
  • इस अविध में हरिद्वार में तीन, देहरादून में दो व पुरोला उत्तरकाशी में एक मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। वहीं बीते वर्ष आखिर में कानून को सख्त बनाए जाने के बाद बाजपुर (ऊधमसिंह नगर) में बीते अप्रैल में धर्मांतरण एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई।
  • सीओ तिलक राम वर्मा व कोतवाल हेम पंत के अनुसार अब अल्मोड़ा जनपद में पहला केस रानीखेत कोतवाली में दर्ज हुआ है।

ये है प्रवधान

  • कोतवाल हेम पंत के अनुसार पहले धर्मांतरण विरोधी कानून में एक से पांव वर्ष की सजा थी।
  • बाद में इसमें संशोधन कर जो विधेयक लाया गया उसमें धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत दस वर्ष की कैद तथा 50 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रवधान किया गया है।
  • यही नहीं पीड़िता को मुआवजा देने की भी व्यवस्था की गई है।

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