उत्तराखंड में ज्यादा बारिश के कारण गुलदार हिंसक और हमलावर हो रहे हैं। राज्य में गुलदारों ने 11 दिन में 5 लोगों की जान ले ली, वहीं कई लोगों को घायल कर चुके हैं। इस साल अब तक 64 से ज्यादा लोगों पर गुलदार हमले कर चुके हैं। गुलदार के लगातार बढ़ रहे हमलों से ग्रामीण खौफ में हैं। वहीं गुलदारों के व्यवहार को समझने के लिए वन विभाग आठ गुलदारों पर कॉलर लगा चुका है।
राज्य में गुलदार इस साल अभी तक 19 लोगों की जान ले चुके हैं, जबकि 64 लोगों को जख्मी कर चुके हैं। बीती 16 से 26 जुलाई तक गुलदार ने राज्य के पर्वतीय जिलों में पांच लोगों की जान ले ली है। मानसून सीजन में गुलदार के हमले बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश होने से गुलदार के हमले बढ़ेे हैंं।
उत्तराखंड में इस बार औसतन 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। अच्छी बारिश के कारण घास, पेड़-पौधों बड़े और जंंगल घने हो जाते हैं, जिसके चलते अशक्त हो चुके गुलदार के लिए शिकार करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ये मनुष्य आबादी का रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गुलदार कुत्ते के शिकार के लिए आबादी में आते हैं और कुत्ते न मिल पाने पर बच्चों-बूढ़ों और महिलाओं को आसानी से अपना शिकार बनाते हैं।
राज्य में बीते 11 दिनों में यहां हमले कर ली जान
16 जुलाई- टिहरी में दुरोगी गांव निवासी शकुंतला देवी की जान ली
18 जुलाई- टिहरी में दुरोगी गांव निवासी गुंदरी देवी की जान ली
20 जुलाई- पिथौरागढ़ में 10 साल के बच्चे को गुलदार ने मारा
24 जुलाई- सिल्लाबामण गांव रुद्रप्रयाग निवासी 2 साल की बच्ची को घर से उठाकर मारा
26 जुलाई- ग्राम डाकुड़ा निवासी बसंत तिवारी पर तीन दिन पहले हमला किया, जिनकी सोमवार को मौत
सात गुलदार नरभक्षी हुए, छह को मारना पड़ा
राज्य में इस साल अभी तक 7 गुलदारों को नरभक्षी घोषित किया गया है। इनमें से छह को मारा जा चुका है। जिन छह गुलदारों को मारा गया, उनके शिकार को पकड़ने वाले दांत (कैनाइन टीथ) टूटे पाये गए। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग का कहना है कि कैनाइन टीथ टूटने का मतलब है कि शिकार करने में सक्षम नहीं होने पर ही ज्यादातर गुलदार सॉफ्ट टारगेट इन्सानों पर हमला कर रहे हैं।
आठ गुलदारों पर लगाए कॉलर
गुलदारों के व्यवहार एवं मूवमेंट को समझने के लिए वन विभाग ने राज्य में आठ गुलदारों को कॉलर लगाए हैं। यह कॉलर सीधे सेटेलाइट से कनेक्ट हैं। कब और क्यों यह आबादी की तरफ आते हैं, ये किन पर ज्यादा अटैक कर रहे हैं आदि बातों का विभाग अध्ययन कर रहा है।
बरसात के चलते गुलदार को घने हो चले जंगल में शिकार करने में दिक्कत होती है। खासकर जो गुलदार कमजोर या अशक्त हो चले हैं। ऐसे में कमजोर गुलदार आबादी में आने लगते हैं। इस बार भी बारिश औसत से ज्यादा हुई है, जिसके चलते गुलदारों के मनुष्य पर हमले बढ़े हैं। – जेएस सुहाग, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड
तेजी से बढ़े गुलदार, संख्या तीन हजार पार
राज्य में 2008 के बाद से गुलदारों की गिनती ही नहीं की गई है। 2003 में गुलदारों की संख्या करीब 2092 थी, जबकि 2005 में यह बढ़कर 2135 हो गई। और 2008 में यह संख्या 2335 आंकी गई थी। उसके बाद गुलदारों की गिनती नहीं हो पाई। हालांकि इस वृद्धि दर के हिसाब से राज्य में अब गुलदारों की संख्या तीन हजार के पार मानी जा सकती है।