उत्तराखंड; विस सत्र की अवधि बढ़ी, चुनाव में शिक्षा-संतान की शर्त पर आज मुहर संभव

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देहरादून। विधानसभा सत्र की अवधि एक दिन और बढ़ा दी गई है। पहले सिर्फ दो दिन के लिए सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन विपक्ष ने इस पर एतराज जताया और सदस्यों के सवालों को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाने की मांग की थी। स्पीकर प्रेम चंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कार्यवाहक संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक के अनुसार, विपक्ष की भावना का सम्मान करते हुए सत्र की अवधि एक दिन और बढ़ाई गई है।

चुनाव में शिक्षा-संतान की शर्त पर आज मुहर संभव
पंचायत राज चुनाव में शिक्षा और संतान की अनिवार्य शर्त पर सदन में बुधवार को मुहर लग सकती है। सरकार दो से ज्यादा संतान होने पर दावेदार को चुनाव के अयोग्य करार देने का एक्ट में संशोधन लेकर आ रही है। इसके अलावा, पंचायत प्रतिनिधियों के लिए शैक्षिक योग्यता तय की जा रही है। इसके अलावा किसी पदधारी के दो पद धारण करने को वर्जित करने की भी व्यवस्था की जा रही है। सरकार ने मंगलवार को सदन के पटल पर पंचायत राज संशोधन विधेयक 2019 रख दिया। बुधवार को सरकार इस पर चर्चा करने के बाद इसे पारित कराने का प्रयास करेगी। सदन में सरकार के पास प्रचंड बहुमत है, लेकिन फिर भी इस संशोधन विधेयक पर विपक्ष का क्या रुख रहता है, इस पर नजर रहेगी।

दो संतान से ज्यादा होने पर चुनाव के अयोग्य
संशोधन विधेयक में दो से अधिक जीवित संतान होने पर चुनाव के अयोग्य घोषित करने का प्रावधान किया जा रहा है। विधेयक में यह प्रस्ताव भी है कि दो से अधिक जीवित संतानों में से एक का जन्म इस कानून के लागू होने की तिथि से 300 दिन के पश्चात भी प्रभावी रहेगा।

पहली बार उम्मीदवार के लिए शैक्षिक योग्यता
सरकार पहली बार पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों के लिए शैक्षिक योग्यता भी तय करने जा रही है। इसके अंतर्गत अलग अलग पदों के लिए अलग अलग शैक्षिक योग्यता निर्धारित की गई है। मसलन, जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार का 12 वीं पास होना जरूरी होगा।

एक साथ दो पद धारण करने को ना
कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या सदस्य का पद धारण करने के अनर्ह होगा, यदि वह सांसद-विधायक, क्षेत्र पंचायत का प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य का पद भी उसके पास हो। इसके अलावा, किसी जिला पंचायत का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य, किसी सहकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य, किसी शहरी निकाय का नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख, सभासद, किसी कैंट का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य हो।

पंचायत प्रतिनिधियों का आरक्षण
सरकार प्रधान के पदों को एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षित कर सकेगी। पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रधान के पदों की कुल संख्या के 14 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।

ईवीएम का भी विकल्प होगा चुनाव में
पंचायत राज चुनाव में अब मतपत्रों के अलावा ईवीएम का विकल्प भी उपलब्ध रहेगा।

ग्राम प्रधान को ग्राम प्रमुख कहा जाएगा
पंचायत राज संशोधन विधेयक में ग्राम प्रधान के पद को ग्राम प्रमुख करने का भी प्रस्ताव है।

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