भाजपा हो या कांग्रेस गैरसैण के मुद्दे पर दोनों ही सुस्त

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देहरादून। संवादददाता। सत्ता मिलते ही राजनीतिक दलों को आखिर गैरसैंण क्यों गैर होने लगता है। भाजपा हो या कांग्रेस, हर कोई सत्ता पाने के लिए गैरसैंण की बात तो करता है मगर राजगद्दी मिलते ही गैरसैंण का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. 9 नवम्बर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य बना तो पहाड़वासियों की आस जगी की पहाड़ी राज्य का विकास होगा और राज्य निर्माण की अवधारणा रहे गैरसैंण में राजधानी का निर्माण होगा। लेकिन राज्य बने 18 साल बीत जाने के बाद भी गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी नहीं बनाया गया। इसके विपरीत ये राजनीतिक दलों के लिए चुनावी बैतरणी पार करने का एक मुद्दा बनकर रह गया। जब कांग्रेस सत्ता में रही तो भाजपा आरोप लगाती रही। अब जब भाजपा सत्ता में है तब कांग्रेस भाजपा पर आरोप लगा रही है।

इस संदर्भ में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि कांग्रेस पर आरोप लगाने के बजाय भाजपा गैरसैंण के बारे में फैसला करे। भाजपा यह बता दे कि वह गैरसैंण को राजधानी बनाना चाहती है या नहीं बनाना चाहती है।

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