बाल विवाह की पीड़िता को बुढ़ापे में मिला न्याय

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नैनीताल। संवाददाता। ये गाथा है वीर नारी हरली देवी की। महज 15 साल की उम्र में ही वह विधवा हो गई। उनके पति वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गए। फिर शुरू हुआ हरली देवी के जीवन का संघर्ष। उनका जीवन कभी ससुराल तो कभी मायके में बीता। सरकार व अफसरों ने भी उनकी ओर पीठ फेरी और सामान्य पेंशन लगा दी। इस साल अक्टूबर में उन्होंने कम पेंशन मिलने की आवाज एक्स सर्विसमैन लीग ऊधमसिंह नगर के सम्मेलन में उठाई।

उसमें पहुंचे नैनीताल जिले के सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी मेजर बीएस रौतेला ने मदद को हाथ बढ़ाए। मेजर के डेढ़ माह संघर्ष के बाद आखिरकार आमा को 52 साल बाद न्याय मिला और वास्तविक उदारीकृत पारिवारिक पेंशन मिलने का आदेश आ गया। वहीं लाखों रुपये एरियर के रूप में खाते में आने से बुढ़ापे में आमा के चेहरे में रौनक लौटी है।

मूल रूप से ध्यारी लोहाघाट(चंपावत) के तारा दत्त पुनेठा की बेटी हरली देवी का मात्र 11 साल की उम्र में पिथौरागढ़ के मेलडुंगरी में रहने वाले ज्वाला दत्त जोशी से विवाह हुआ था। ज्वाला दत्त जोशी उस समय बंगाल इंजीनियर ग्रुप में सिपाही थे। विवाह के कुछ समय बाद ही भारत-पाक युद्ध छिड़ गया और ज्वाला दत्त जोशी भी जंग के लिए रवाना हो गए।

21 सितंबर 1965 को ज्वाला दत्त वीरगति को प्राप्त हो गए। उस समय हरली देवी की उम्र मात्र 15 वर्ष की थी। इसके बाद हरली देवी के जीवन का संघर्ष शुरू हुआ। कभी मायके तो कभी ससुराल में रहकर हरली देवी ने पूरी जिंदगी गुजारने के बाद बुढ़ापे में कदम रख दिया है। वर्तमान में वह अपने ससुरालियों के साथ ही ऊधमसिंहनगर जिले के भूड़महौलिया, खटीमा में रह रही हैं।

नैनीताल के जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी मेजर बीएस रौतेला ने बताया कि हरली देवी को उदारीकृत पारिवारिक पेंशन लागू होने के साथ ही वर्ष 2006 से अब तक के एरियर भुगतान भी हो चुका है। इससे पहले के एरियर के लिए सेंट्रलाइज पेंशन प्रोसेसिंग सेंटर(सीपीपीसी) दिल्ली से उच्चाधिकारियों से वार्ता की गई है। वर्ष 1965 से 2006 एरियर के लिए हरली देवी के बैंक से डिटेल मांगी गई है। डिटेल मिलने पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी तक हरली देवी को करीब साढ़े नौ हजार पेंशन मिलती थी, जो अब बढ़कर करीब 31 हजार हो जाएगी।

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