सीमांत का दर्द न समझेे वाले नेता खुद भुगत रहे मुसीबत, आनलाइन प्रचार के लिए नेपाल के नेटवर्क पर हुए निर्भर

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सीमांत में पंचेश्वर से लेकर धारचूला तक नेपाल सीमा पर बीएसएनएल की संचार सेवा बेदम हो चुकी है। सीमा से लगे अधिकांश क्षेत्रों में मात्र बीएसएनएल की ही संचार सेवा उपलब्ध होने से संकट बढ़ रहा है। लगातार सेवा बाधित होने से सीमांत में बैंक व डाकघर आदि का कामकाज प्रभावित है तो गैस व विद्युत आनलाइन बुकिंग व बिलिंग समेत तमाम कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इससे एक भारतीय उपभोक्ता नेपाल की संचार सेवा पर निर्भर होकर रह गए हैं। यह स्थिति तब है जब इस बार विधानसभा चुनाव में रैली, सभा से लेकर जनसंपर्क भी आनलाइन ही होना है। सामरिक रूप से भी महत्वपूर्ण क्षेत्र में संचार सेवा का अभाव अब नेताओं पर ही भारी पड़ रहा है।

उत्तराखंड में चुनाव प्रचार के लिए समय भी अब बेहद कम है। इस बार कोविड के चलते रैली व सभाओं पर रोक के कारण राजनैतिक दलों को ठंड में भी पसीना आ रहा है। पिथौरागढ़ जिले में नेपाल सीमा पर बीएसएनएल ही एकमात्र सेवा प्रदाता कंपनी है। कंपनी के सीमित टावर क्षेत्र में लगे हुए हैं। सुरक्षा कारणों से सिग्नल की क्षमता भी सीमित रखी गई है। जिसके चलते दूर-दराज गांवों में सिग्नल ही नहीं आते। क्षेत्र में रहने वाले लोग नेपाल की संचार सेवा का उपयोग भी करते हैं।

पिथौरागढ़ और चम्पावत जिले की तीन-तीन विधानसभा सीट नेपाल सीमा से लगी हुई हैं। पिथौरागढ़, डीडीहाट और धारचूला के 200 से अधिक गांव इस सीमा पर बसे हुए हैं। जिनकी आबादी एक लाख से अधिक है। यहां झूलाघाट व जौलजीबी में दो टावर लगे हैं। इनसे करीब 15 हजार से अधिक उपभोक्ता जुड़े हैं। चंपावत जिले की दोनों विधानसभा सीट चम्पावत और लोहाघाट का भी यही हाल है।

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