छात्रवृत्ति घोटाले में कई प्रशासनिक अफसर भी रडार पर

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देहरादून। करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में प्रदेश के कई अफसरों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। खासकर हरिद्वार और देहरादून के 24 संस्थानों का सत्यापन कराने वाले आइएएस और पीसीएस अफसर भी जांच के दायरे में हैं। अब तक हुई जांच में एसआइटी को 11 अफसरों की संलिप्तता के प्रमाण मिले हैं। जबकि समाज कल्याण विभाग से अभी पूरे दस्तावेज भी नहीं मिले हैं। ऐसे में घोटालेबाजों की संख्या दोगुनी हो सकती है।

प्रदेश में एनएच-74 घोटाले के बाद दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना में हुए करोड़ों के घोटाले को भी सरकार गंभीरता से ले रही है। इस मामले में हाईकोर्ट के तल्ख आदेश से समाज कल्याण विभाग से लेकर जांच कर रही पुलिस की एसआइटी में हड़कंप मचा हुआ है। एसआइटी प्रमुख आइपीएस मंजूनाथ टीसी ने हाईकोर्ट में जो शपथ पत्र दिया है, उससे कई बड़े अफसरों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

खासकर निदेशालय से लेकर जिलों में दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के बजट को सत्यापित करने वाले अधिकारी इसमें शामिल बताए गए हैं। अभी तक एसआइटी को दून और हरिद्वार के 24 कॉलेजों के घोटाले से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। जहां जिला समाज कल्याण अधिकारी से लेकर निदेशालय स्तर तक के अधिकारी जांच के दायरे में आ रहे हैं। इनमें से कुछ अधिकारियों की सूची भी तैयार कर दी है।

इसी तरह छात्रवृत्ति योजना का सत्यापन कराने वाले आइएएस और पीसीएस अफसर भी जांच के दायरे में हैं। सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार जिले में एक पूर्व आइएएस और कुछ पीसीएस अधिकारियों ने जांच के दायरे में आए कॉलेजों में बांटी गई लाखों की छात्रवृत्ति का सत्यापन किया था। उनकी रिपोर्ट संस्थानों के छात्रवृत्ति पंजिकाओं में दर्ज हैं। एसआइटी को इनके सत्यापन की रिपोर्ट मिली है।

इसके अलावा बजट को सत्यापित करने वाले जिला समाज कल्याण अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी तक 11 अफसरों की संलिप्तता जांच में सामने आई है। यदि जांच इसी दिशा में आगे बढ़ी तो लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इस मामले में बड़ी कार्रवाई कर सकती है। इसे लेकर शासन स्तर पर गोपनीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है। सबूत मिलते ही सरकार इस प्रकरण को राजनीतिक मुद्दा बनने से पहले ही कार्रवाई के मूड में दिख रही है।

जांच में नहीं बच पाएंगे संस्थान

एसआइटी की जांच में फर्जी छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति घोटाला करने वाले संस्थान भी नहीं बच पाएंगे। एसआइटी जांच के दायरे में आए संस्थानों के खिलाफ सबूत जुटा रही है। ताकि ऐसे संस्थानों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सके। बताया जा रहा है कि प्रदेश में डेढ़ सौ से ज्यादा संस्थानों को 2011 में करोड़ों की छात्रवृत्ति बांटी गई। इन संस्थानों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की संख्या जुटाई जाएगी। जिससे कई बड़े संस्थानों के बेनकाब होने की प्रबल आशंका है।

अशोक कुमार (डीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था) का कहना है कि एसआइटी की जांच अभी शुरुआती दौर में है। गड़बड़ी में कौन संलिप्त है, यह सबूत मिलने के बाद ही साफ हो पाएगा। एसआइटी की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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