पीएम के दौरे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के तेवर तल्ख

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देहरादून। संवाददाता। शंकराचार्य की समाधि के शिलान्यास को लेकर राजनैतिक हलचल तेज हो चली है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम के दौरे से पहले सियासी हमले करना शुरू कर दिया है। उन्होंने केदारनाथ में शंकराचार्य की समाधि का शिलान्यास प्रधानमंत्री के हाथों कराने को लेकर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की समाधि का शिलान्यास पिछली कांग्रेस सरकार चारों पीठों के शंकराचार्य, यानी धार्मिक लोगों से ही कराना चाह रही थी। ऐसे में एक राजनीतिक व्यक्ति के हाथों इसका शिलान्यास मात्र एक सियासी कदम है। उन्होंने प्रदेश भाजपा सरकार पर समाज कल्याण व महिला कल्याण की योजनाओं पर रोक लगाने का आरोप भी लगाया।

कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केदारपुरी में कांग्रेस सरकार के दौरान ही तमाम योजनाओं का शिलान्यास हो चुका है। अब भाजपा उन्हीं योजनाओं का दोबारा शिलान्यास करा रही है। केदारनाथ में मंदाकिनी नदी की सुरक्षा दीवार की योजना को लेकर कोई चर्चा नहीं है।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के मार्ग बुरी हालत में हैं। उन्होंने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के मसले पर भी प्रदेश सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि ऋषिकेश से आगे एक इंच भी रेलवे लाइन नहीं बनी है।

इसके बावजूद सरकार की कल्पनाशीलता में अब चारधाम तक रेल पहुंचा दी गई है। यहां तक कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बदरीनाथ तक का किराया भी तय कर दिया है। अब केवल काउंटर खोलना शेष रह गया है। उन्होंने ऑल वेदर

रोड पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस परियोजना का नाम प्रदेश को क्षति पहुंचाने वाला है। यह एक यात्रा मार्ग सुधार कार्यक्रम था, जिसके लिए उनकी सरकार ने प्रस्ताव बनाया था। अब संदेश ऐसा दिया जा रहा है कि प्रदेश में ऑल वेदर रोड थी ही नहीं। यह प्रदेश की विकास यात्रा का अपमान है।

उन्होंने जोड़ा कि प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, लघु सिंचाई व जल निगम में ठेकेदारों को उनके काम का भुगतान नहीं हो पाया है। जिला पंचायत के पैसों में कटौती की गई है। जब सरकार के पास पैसा ही नहीं है तो विकास कहां हो रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि समाज कल्याण की कई योजनाओं में कटौती की गई है। एक लाख लोगों को पेंशन के हक से वंचित कर दिया गया है। प्रदेश सरकार ने महिला इंडेक्स को उठाने का जो कार्य किया था, मौजूदा सरकार के कार्यों से वह लगातार नीचे गिर रहा है।

 

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