ट्राली से नदी पार करने को ग्रामीण मजबूर

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बागेश्वर : राम गंगा नदी में झूला पुल नहीं बन सका है। जिस कारण कालापैर कापड़ी की जनता सीधे प्रभावित हो रही है। लगभग 400 से अधिक आबादी वाले गांव के ग्रामीणों को प्रतिदिन जरूरी काम के लिए नाचनी बाजार जाना होता है। मानसून सिर पर है और ट्राली ही यहां राम गंगा नदी पार करने का एकमात्र सहारा। अभी तक ट्राली से गिरने से दो लोगों की मृत्यु भी हो गई है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राम गंगा नदी में बाढ़ आने के कारण चार वर्ष पूर्व पुल बह गया था। तब से निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है।

महरगाढ़ घाटी में जुलाई 2018 में अतिवृष्टि हुई थी। उफनाई रामगंगा के बहाव में आकर भकुना से नाचनी बाजार के बीच बना झूलापुल ध्वस्त हो गया था। चार वर्ष बाद भी झूला पुल नहीं बन सका है। बारिश होने पर नदी का बहाव गांव की तरफ हो जाता है। इससे उपजाऊ जमीन तो नष्ट हो ही रही है, नदी किनारे बसे गांव के लिए भी खतरा पैदा होने लगा है। ग्राम प्रधान गंगा सिंह कार्की ने बताया कि भकुना गांव में लगभग 25 परिवार और 150 की आबादी रहती है। रामगंगा ने बागेश्वर के भकुना और पिथौरागढ़ के नाचनी बाजार की ओर बराबर कटाव किया था। पिथौरागढ़ की तरफ तत्काल सुरक्षा दीवार का निर्माण हो गया था। ट्राली के सहारे ग्रामीण नदी को आर-पार करते हैं।

पुल नहीं बनने से प्रभावित गांव महरगाढ़ घाटी के कालापैरकापड़ी, भकुना, नामतीचेटाबगड़, किसमिला, सुखचौना आदि गांवों की नजदीकी बाजार पिथौरागढ़ जिले की नाचनी है, जो रामगंगा नदी के उस पार है। रोजाना का सामान, राशन खरीदने, बैंक और डाकखाने के काम के लिए लोगों को नाचनी जाना पड़ता है। इसके लिए रामगंगा पर बना झूला पुल ही एकमात्र सहारा था। झूलापुल टूटने के बाद से लोग ट्राली के सहारे नदी पार करने के लिए मजबूर हैं।

झूला पुल के स्थान मोटर पुल बनेगा। विश्व बैंक से पुल बनना था। अब लोनिवि यहां पुल का निर्माण करेगी। डीपीआर शासन से वापस आ गई है। पुन: प्रस्ताव भेजा जा रहा है। -संजय पांडे, अधिशासी अभियंता, लोनिवि, कपकोट

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