हिमालयी बुग्याल में सीजन का पहला हल्का हिमपात, भेड़ लेकर लौटने लगे अनवाल; मार्च तक गांव में रहेगा डेरा

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बागेश्वर। मौसम के अचानक करवट बदलने से हिमालयी गांवों में शीत लहर दौड़ गई है। ओलावृष्टि होने से पिंडारी जीरो प्वाइंट पर हल्का हिमपात भी हुआ है। बुग्यालों से भेड़-बकरी लेकर गए अनवाल नीचे की तरफ उतरने लगे हैं। अब भेड़-बकरियां 15 नवंबर तक हिमालय की तलहटी से गांवों की तरफ लौट आएंगे। उसके बाद मार्च में पुन: बुग्यालों का रुख करेंगे।

स्थानीय लोगों के अनुसार, इस वर्ष जल्दी ठंड पड़ने लगी है। ऐसे में हिमपात अधिक होने की संभावना भी प्रबल बनी हुई है। पिंडारी ग्लेशियर की तरफ गई भेड़-बकरियों को लेकर भी चरवाहे द्वाली की तरफ लौट रहे हैं।

शीत लहर के चलते भेड़ बकरियों का निचली घाटी की ओर रुख
उच्च हिमालयी बुग्यालों में बढ़ती ठंड के चलते दानपुर घाटी के चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों के साथ ग्रीष्म कालीन ऊंचे पठारी चुगान क्षेत्रों से नीचे लौटने शुरू हो गए हैं। ऊपरी हिमालयी बुग्यालों के धुरों में सीजन का पहला हल्का हिमपात भी हुआ है। शीत लहर का प्रकोप बढ़ गया है, जिसके चलते अनवाल अपनी जीवन पूंजी भेड़ बकरियों को निचली घाटी की ओर रुख कर दिया।

300 परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन है भेड़ पालन
आज के आधुनिक युग में भी क्षेत्र के कुछ लोग अपने पुश्तैनी भेड़ पालन व्यवसाय को पकड़े हुए हैं। बारमासी संघर्ष के बाद भी आज यही एकमात्र आजीविका का साधन सीमांत के लोगों का बना हुआ है। पहाड़ों में चरवाहों का जीवन किसी तपस्या से कम नहीं होता। अब चरवाहे शेष शीतकाल के लिए तराई भाबर के गर्म क्षेत्रों में रहेंगे और गर्मी आने पर फिर से उच्च हिमालय की ओर रुख करेंगे। बता दें कि दानपुर घाटी के लगभग 300 परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन भेड़ पालन है।

15 नवंबर के बाद होने लगता है हिमपात
बागेश्वर के जिला आपदा अधिकारी शिखा सुयाल के अनुसार, मौसम का अलर्ट पशुपालन और संबंधित विभाग को समय-समय पर दिया जाता है। वह चरवाहों तक सूचना पहुंचाने का काम करते हैं। 15 नवंबर के बाद हिमालयी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं होती है। रुक-रुक कर हिमपात होने लगता है।

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