विधान सभा में सर्वसम्मति से पास हुआ स्थान्तरण एक्ट: तबादला रुकवाने की कोशिश की तो होंगे दंडित।

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गैरसैण (चमोली) :  प्रदेश में अब किसी कर्मचारी ने अगर अपना तबादला रुकवाने के लिए मां-बाप, पति पत्नी या अन्य संबंधियों से अर्जी दिलवायी या किसी की सिफारिश के जरिए तबादला रुकवाने की कोशिश की तो उसे तबादला अधिनियम के तहत दंडित किया जाएगा। तबादला एक्ट के उल्लंघन पर भी उसे दंडित हाोना होगा। बृहस्पतिवार को विधानसभा में प्रवर समिति की सिफारिश पर पेश संशोधित उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक 2017 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। यह अधिनियम प्रदेश के सभी विभागों, निगमों, व नगर निकायों आदि में भी लागू किया जा सकेगा।

संशोधित विधेयक में प्राविधान किया है कि अगर कोई अपना तबादला रुकवाने के लिए परिजनों की अर्जी का इस्तेमाल करता है तो अर्जी को कर्मचारी की व्यक्तिगत फाइल में रखा जाएगा और ऐसी अर्जियों को आगे नहीं भेजा जाएगा यही नहीं इसको कर्मचारी की सालाना गोपनीय प्रविष्टि में भी अंकित किया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी किसी से सिफारिश लगवाता है या अनुचित दबाव बनाता है तो उसे कर्मचारी द्वारा सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन माना जाएगा और उसके विरुद्ध उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यही नहीं जो भी तबादला अधिनियम का उल्लंघन कर किसी तबादला आदेश का तय समय सीमा के अंदर पालन नहीं करेगा। उसके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सामान्य स्थानांतरण के लिए समय सारिणी भी तय की गई है । तबादला प्रक्रिया हर साल 31 मार्च से तबादला प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विधेयक में अनिवार्य तबादलों में सुगम से दुर्गम व दुर्गम से सुगम में तबादले से छूट के मामलों में कई गंभीर बीमारियों को शामिल किया गया है।

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