अमित शाह के सामने विकास को लेकर मौन दिखें उत्तराखण्ड के सांसद

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देहरादून। आशीष बडोला। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह का उत्तराखण्ड दौरा था। ऐसे में अमित शाह ने विधायकों और मंत्रियों की समस्याओं को सुना। साथ ही उनके समाधान का भी संगठन को पूर्ण भरोसा दिया। मगर इस मामलें में पांचों सांसद मौन ही दिखें। किसी ने भी शाह के सामने कोई परेशानी नहीं रखी। 

जबकी केंद्र की नजर निकाय चुनाव से ज्यादा लोस चुनाव पर है। भाजपा प्रदेश में इस वक्त मजबूत स्थिति में हैं, ऐसे में वो निकाय चुनाव प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की रणनीतियों के सहारे भी जीत सकती है। उसके लिए अमितशाह को दो दिन उत्तराखण्ड दौरा करने की आवश्यकता नहीं है। अमितशाह के आने का मुख्य मकसद संगठन को एकसूत्र में बांधकर पार्टी हित में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन देना था।

जिससें 2019 में होने वाले लोस चुनाव मे पांचों लोकसभा सीट जीती जा सकें। वहीं ये खबर भी है कि लोस चुनाव में दो सीटों पर टिकटों को लेकर पुनरार्वित नहीं होगी। वास्तव में जब कुछ दिनों पहले उत्तराखण्ड रिपोर्ट के संवाददाता ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से पूछा की आपकी सरकार अच्छा काम कर रही है। मगर आपके सांसदों द्वारा कोई भी तीन योजनाओं के नाम बताएं जो खास तौर पर केंद्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के विकास में कारगर साबित हुए हो, तो इस पर प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट सटीक जवाब नहीं दे सकें। असलियत में आपकों बता दे कि एक शाही सांसद तो ऐसी हैं, जिनकी संसद में उपस्थिति तक पूरी नहीं है।

उनके द्वारा संसद  में प्रश्न पूछे जाने का औसत भी नाममात्र का है। राज्य के सांसदों द्वारा संसद में पूछे गए प्रश्नों का स्तर भी कुछ खास नहीं है। वास्तव में सांसदों को प्रशासनिक अनुभव का खांटी नेता होना जरूरी हैं, तभी वो केंद्र में किसी भी सरकार के होते हुए राज्य का विकास करने में सफल साबित हो सकेंगे। यदि सांसदों द्वारा इन साढ़े तीन सालों में कुछ गिनाने को हैं तो सिर्फ रेल लाईन का सर्वे इससे ज्यादा कुछ नहीं। बता दे कि उत्तराखण्ड के लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदर्श ग्राम योजना के तहत बिल्कुल फेल साबित हैं। सांसदों ने जो गांव गोद लिये थे किसी ने भी उनकी ओर देखना तक मुनासिफ नहीं समझा। सिवाय एक सांसद ने कुछ हद तक इस ओर जरूर ध्यान दिया है।

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