वन्यजीव का मांस मिलने का मामला सीबीआई तक पहुंचा

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देहरादून। संवाददाता। राजाजी नेशनल पार्क में विभाग के गेस्टहाउस में कर्मचारियों के आवास पर प्रतिबन्धित वन जीवों का मांस मिलने की घटना की जांच पर हो रही लीपापोती पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य के हाईकोर्ट द्वारा इस गम्भीर मामले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिये गये है। सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद अब इस मामले के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की उम्मीद बधीं है।

उल्लेखनीय है कि मार्च 2017 में वन कर्मियों के आवास से वन्य जीव मांस व अंग मिलने का यह सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया था। जिसके बाद वन विभाग के कुछ कर्मचारी ही वन्य जीवों के अवैध शिकार के संदेह के घेरे में आ गये थे। इस मामले की जांच 24 मार्च 2017 को वाइल्ड लाइफ के कोमल सिंह को सौंपी गयी थी।

लेकिन जांच शुरू होती उससे पहले ही जांच अधिकारी को बदल दिया गया। तथा इस मामले की जांच संजीव चतुर्वेदी को सौंप दी गयी। उन्होने जांच तो शुरू की लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हे भी जांच अधिकारी से हटा दिया गया। फिर इस मामले की जांच मनोज चंद्रन को सौंप दी गयी। मनोज चन्द्रन ने इसकी जांच शुरू की और इस मामले से जुड़े 70 लोगों से पूछताछ भी की लेकिन दो माह बाद उन्हे भी जांच से हटा दिया गया। जिसके कारण जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। उनके बाद इस मामले की जांच सतनाम सोनकर को दी गयी वह इस जांच को आगे बढ़ाते इससे पहले ही यह जांच सुरेन्द्र मेहरा का सौंप दी गयी जिनका कुछ समय बाद ही एटीएस में ट्रांसफर कर दिया गया।

कुल मिलाकर पौने दो साल पुराने इस मामले में अब तक पांच जांच अधिकारी बदले जा चुके है। जिसके कारण यह जांच आज भी जहां की तहां अटकी हुई है। मामला विभागीय कर्मचारियों से जुड़ा है इसलिए इसकी जांच पर लीपापोती की जा रही है। नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा पांच बार जांच अधिकारी बदलने पर हैरानी जताते हुए कहा गया है कि इस तरह इस मामले की जांच कभी भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकती। अदालत का कहना है कि क्यों न इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी जाये। उधर प्रमुख वन संरक्षक रणवीर सिंह रावत का कहना है कि जांच अधिकारी बदले जाने के बारे में वह कुछ नहीं कह सकते है। कोर्ट ने अब इसकी जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिये है। देखना है कि अब यह जांच कब तक पूरी होती है और अब आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचते है।

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