हिंदुत्व जीवन दर्शन है, इसकी विश्व में स्वीकार्यता बढ़ी है-सरसंघ चालक

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  • विविद्यालयों के कुलपतियों से चर्चा की सरसंघ चालक मोहन भागवत ने। 
  • कहा कि बाहरी देशों में चर्च समाप्त हो रहे हैं। उनके स्थान पर वहां के लोग मंदिरों का निर्माण कर रहे है।
  • वहां स्वीकार किया जा रहा है कि हिन्दू व हिन्दू मन्दिर होने पर वातावरण सुख, समृद्ध व शांतिमय हो जाता है।
  • आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगले 10 वर्ष में कश्मीर से पलायन कर चुके पंडित पुन: कश्मीर में पुनस्र्थापित हो जाएंगे 

देहरादून : प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू जीवन दर्शन है। इसकी स्वीकार्यता विश्व में बढ़ी है। कुछ लोग जानकर भी अनजान बने रहते हैं। बृहस्पतिवार को उन्होंने विविद्यालयों के कुलपतियों से वार्ता कर संघ व समाज की स्थिति पर चर्चा की। इसके अलावा संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों के परिजनों का भी मार्गदर्शन किया।

बृहस्पतिवार को तिलक रोड स्थित संघ मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख ने विवि के कुलपतियों से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्व के अधिकांश देशों में अन्य धर्मो को मनाने वालों को दबाया गया। इसके विपरीत भारत में हिन्दू समाज ने उनके साथ समानता का व मातृभाव का व्यवहार किया। हिन्दू व हिन्दुत्व विश्व को एक परिवार मानता है। भारत -इंडिया-हिंदुस्तान एक ही है। हमारी पहचान भारत से है। इसलिए कोई भी भाषा बोलें लेकिन अपने देश का नाम भारत ही बोले।

उन्होंने कहा कि संघ ने यह कभी नहीं कहा कि अन्य मत को मानने वाले यहां से चले जाएं। अन्य मत को मानने वाले भी भारत के हैं। उनके पूर्वज हिन्दू थे। हिन्दू समाज सबल होगा तो सभी इस बात को स्वीकार करेंगे। संघ में भी अन्य मतावलम्बियों के आने पर प्रतिबंध नहीं है। पूजा पद्धति कोई भी हो अहम है सांस्कृतिक रूप से हिन्दू है के भाव को अपनाना। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगले 10 वर्ष में कश्मीर से पलायन कर चुके पंडित पुन: कश्मीर में पुनस्र्थापित हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि बाहरी देशों में चर्च समाप्त हो रहे हैं। उनके स्थान पर वहां के लोग मंदिरों का निर्माण कर रहे है। वहां स्वीकार किया जा रहा है कि हिन्दू व हिन्दू मन्दिर होने पर वातावरण सुख, समृद्ध व शांतिमय हो जाता है। संघ प्रमुख ने कहा कि भारतीय देसी गाय आर्थिकी का महत्वपूर्ण आधार है। गाय से दूध तो मिलता ही है। साथ ही गाय का गोबर तथा मूत्र का उपयोग कृषि कार्य में होता है। वहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी औषधीय उपयोग भी है। भारत समेत विश्व के अनेकों देशों में गाय के गोबर व गौ-मूत्र पर अनुसंधान हो रहे हैं। अपने प्रवास के तीसरे दिन परिवार मिलन कार्यक्रम में आयोजित किया गया। इसमें सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों के परिजनों को संघ की पृष्ठभूमि से अवगत कराया।

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