सैन्य परिवारों को भाजपा की ओर खींच गए पीएम मोदी

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देहरादून। संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कल रूद्रपुर की जनसभा में दिया गया भाषण कांग्रेस नेताओं को बेचैन कर गया है। सैन्य बाहुल्य इस राज्य को प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिक धाम बता कर और विपक्ष द्वारा सैन्य कार्यवाही पर उठाये जाने वाले सवालों को गलत होने पर जिस तरह से जनता की हामी भरवाई गयी उससे यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा के इस मुद्दे को सैन्य परिवारों के अपमान के साथ जोड़कर उनकी भावनाओं को छूकर गये है।

सूबे की राजनीति में इन सैन्य परिवारों के मतों की क्या अहमियत है इस बात को नरेन्द्र मोदी से बेहतर भला और कौन समझ सकता हैघ् यही कारण है कि प्रधानमंत्री का पूरा भाषण सेना के शौर्य पर विपक्ष के सवालों और उनकी सरकार द्वारा की गयी सर्जिकल स्ट्राइक तथा वन रैंक वन पेंशन व सैन्य सुविधाओं के इर्द गिर्द ही रहा। उत्तराखण्ड के हर दूसरे घर से सैनिक निकलने की बात से लेकर सूबे के चार धामों का जिक्र करते हुए पांचवा धाम सैन्य धाम तक बोलकर प्रधानमंत्री ने हर संभव सैन्य परिवारों की भावनाओं से जुड़ने का प्रयास किया। जिसमें वह काफी हद तक सफल भी होते दिखे।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सीधे प्रदेश के मतदाताओं की उस नब्ज पर हाथ रखा है जिनके पास सत्ता की चाबी है। प्रदेश के सैन्य मतदाता ही इस राज्य में किसी की चुनावी हार जीत का फैसला करता है मोदी ने इस चुनावी सभा के लिए रूद्रपुर को इसलिए चुना क्योंकि इस सीट पर भाजपा को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है। मोदी के संबोधन को भले ही कांग्रेस नेताओं द्वारा जुमलेबाजी कही जा रही हो या वह इस बात का दावा कर रहे हों कि वह इन लच्छेदार भाषणों में अहम चुनावी मुद्दों को दबने नहीं देंगे। लेकिन मोदी की यह जनसभा कांग्रेस नेताओं को असहज जरूर कर गयी।

साथ ही मोदी इस जनसभा के जरिए भाजपा के प्रत्याशी व नेताओं को जीत का मंत्र दे गये है। वह उन्हे बता गये है कि उन्हे किन मुद्दों को आगे रखना है और किन मुद्दों को नहीं छूना है। उन्होने सेना के शौर्यए आतंकवादए भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बात कही लेकिन नोटबंदीए काला धनए बेरोजगारी और जीएसटी का एक बार भी जिक्र नहीं किया। साथ ही सवर्ण आरक्षणए किसान सम्मानए आयुष्मान भारतए उज्जवला जैसी उपलब्धियों को आगे रखा। अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के नेता सैन्य मतदाताओं की भावनाओं पर मोदी द्वारा किये गये इस चुनावी हमले का जवाब कैसे दिया जाता है और वह इसमें कितना सफल हो पाते है।

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