सीएम त्रिवेंद्र के लिए आसान नहीं प्रकाश पंत का विकल्प तलाशना

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देहरादून। विधानसभा में ट्रेजरी बेंच की ढाल माने जाने वाले प्रकाश पंत का स्थान भर पाना त्रिवेंद्र सरकार के लिए आसान नहीं होगा। पंत सरीखा संसदीय मामलों की गहरी समझ और अनुभव वाला भाजपा में कोई नेता नहीं है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र खुद भी पंत की शोक सभा में यह स्वीकारते दिखे। सीएम बोले कि ‘संसदीय प्रणाली में उनकी जिम्मेदारी कौन संभालेगा?’ इस सवाल का जवाब अगले विधानसभा सत्र से पहले मुख्यमंत्री को खुद ही तलाशना होगा।

पंत के असामयिक देहावसान की खबर के बाद सियासी हलकों में ये सवाल तैरने लगा है कि आखिर उनका खालीपन कौन भर पाएगा? सियासी जानकारों का मानना है कि अपने संसदीय और विधायी ज्ञान की पंत ऐसी लंबी रेखा खींच गए हैं, जिसके बराबर या उससे लंबी रेखा खींचने वाला फिलहाल त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में मौजूद नहीं है। यह चिंता खुद मुख्यमंत्री की भी है। उन्होंने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने में कोई संकोच भी नहीं किया। प्रदेश पार्टी कार्यालय में आयोजित शोक सभा के दौरान उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से मैं यह सोच रहा हूं कि विधानसभा में और संसदीय प्रणाली में उनकी जिम्मेदारी कौन संभालेगा?’

त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में वर्तमान में जो मंत्री हैं, उनमें एक नाम कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का सामने आता है। सदन में जब भाजपा विपक्ष में थी, तब उन्हें उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। संसदीय मामलों की वे भी ठीकठाक समझ रखते हैं। लेकिन यदि मुख्यमंत्री को संसदीय ज्ञान के साथ एक आक्रामक और तेज तर्रार विकल्प की आवश्यकता होगी तो वो नाम उन्हें अपने विधायकों में तलाशना होगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा के पास संसदीय मामलों की गहरी समझ रखने वाले पंत का खालीपन एक और चेहरे से भरा जा सकता है वो चेहरा है, मुन्ना सिंह चैहान।

उत्तरप्रदेश की विधानसभा से संसदीय ज्ञान अर्जित करने वाले चैहान भाजपा के उन विधायकों में से हैं, जिनके तरकश से छूटने वाले तर्कों के तीर विपक्ष को ही विचलित नहीं करते रहे हैं बल्कि कुछ मौकों पर तो उन्होंने अपने मंत्रियों को भी असहज किया है। लेकिन सबकुछ मुख्यमंत्री के विवेक और पसंद पर निर्भर करेगा। कुछ दिनों बाद जब गम के बादल छटेंगे और हालात सामान्य होंगे तो बदलाव की बयार में सरकार क्या-क्या करेगी, वो सामने आ ही जाएगा।

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