एबीबीएस छात्रों को मोदी से उम्मीद

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देहरादून।संवाददाता। हर वर्ष की तरह इस बार भी मेडिकल सीटों पर प्रवेश को लेकर टोटा ही दिख रहा है। जिस पर जीरों टाॅलरेंस वाली सरकार भी खास निर्णय लेती नहीं दिख रही है। ऐसे में काॅलेज में सीट होते हुए आखिर छात्रों को प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे मोटी कमाई का खेल होना भी प्रतीत हो रहा है। छात्रों ने अब इस बात को पीएमओं कार्यालय और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजा है। अभी तकरीबन 81 छात्र-छात्राएं हैं, जो सरकारी और प्राईवेट कॉलेजों के बीच की जद्दोजेहद के कारण दाखिला नहीं ले सके हैं।

देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश अब राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से होते हैं। राज्य में भी इस बार केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के जरिये दाखिले किए जा रहे हैं। जिसका जिम्मा एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के पास है। काउंसिलिंग का प्रथम चरण संपन्न हो चुका है, पर कई छात्रों को सीट आवंटित होने व फीस जमा करने के बाद भी दाखिला नहीं मिल सका है।

दरअसल प्राइवेट मेडिकल कॉलजों में अभी तक वर्ष 2012-2013 में निर्धारित शुल्क के आधार पर प्रवेश होते आए हैं। फीस का निर्धारण नए सिरे से होना है, पर यह प्रस्ताव अभी भी ठंडे बस्ते में है। उस पर ये मेडिकल कॉलेज यूनिवर्सिटी के तहत संचालित होते हैं। ऐसे में विवि एक्ट की दुहाई देकर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि फीस व सीट निर्धारण का अधिकार विश्वविद्यालय का है।

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