जनता दरबार से टूट चुकी आस, ये बुजुर्ग तीन बार लौट चुका निराश

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देहरादून। आशीष बडोला। जनता दरबार में तीन बार अपनी शिकायत लेकर पहुंचे बचन सिंह चैहान अब थक चुके है, वो पिछले दो महीनों में तीन बार दरबार में हाजरी लगा कर मायूस लौट आए। पिछले 35 सालों से उनके निवास प्रियदर्शनी एंक्लेव में पानी की निकासी होने की व्यवस्था नहीं हो पाई है। ना ही एमडीडीए द्वारा अवैध कब्जे पर शिकंजा ही लग सका है।

उत्तराखण्ड रिपोर्ट से खास बातचीत में बुजुर्ग बचन सिंह उम्र-68 साल ने बताया कि उनका प्रियदर्शनी एनक्लेव वैलफेयर सोसाइटी जीएमएस रोड बल्लीवाला में घर है। जहां वो पिछले 35 सालों से निवासरत हैं। बताया कि 2009 में राष्ट्रीय बैंक से रिटायर्ड हुए थे। जिसके बाद उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने का बीड़ा उठाया। मगर अभी तक शासन और प्रशासन से सिर्फ उन्हें कोरे आश्वासन ही मिले हैं।

प्रियदर्शनी एंक्लेव में जुयाल ब्रदर्स का है अवैध कब्जा
मुकुंद द्वारा सड़क तक अपने मकान की बाउंड्री पहुंचाने की वजह से जनता को समस्याएं हो रही है। जिससें कई बार दुर्घटना हो चुकी है। साथ ही क्षेत्रवासियों का कहना है कि पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकी कालोनी को बने पूरे 35 साल से भी ज्यादा का समय हो चला है। ऐसे में घरों में पानी घूस जाता है, साथ ही आने जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है

 

अवैध कब्जे के खिलाफ एमडीडीए नतमस्तक
उनका कहना है कि उनके क्षेत्र जुयाल ब्रदर्स ने भी सड़क पर अतिक्रमण कर रखा है। जिसको उन्होंने सूचना के अधिकार के जरिये भी पुख्ता किया। प्रशासन ने इस बारे में कार्यवाही के निर्देश किए थे, इसके बावजूद भी बालमुकुंद जुयाल पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है। बता दे कि प्रियदर्शनी एंक्लेव एमडीडीए के अधिकृत है। एमडीडीए द्वारा बालमुकुंद को नोटिस भेजा गया था, जिस पर वाद संख्या 731/5-8/2004 अंकित है, जो दिनांक 24/07/2004 को भेजी गया था। इतना सब होने के बावजूद भी मुकुंद के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो सकी है।

मुकुंद द्वारा सड़क तक अपने मकान की बाउंड्री पहुंचाने की वजह से जनता को समस्याएं हो रही है। जिससें कई बार दुर्घटना हो चुकी है। साथ ही क्षेत्रवासियों का कहना है कि पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकी कालोनी को बने पूरे 35 साल से भी ज्यादा का समय हो चला है। ऐसे में घरों में पानी घूस जाता है, साथ ही आने जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है

 

एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का से हो चुकी बात
बुजुर्ग ने बताया कि समस्या को लेकर शासन की ओर से भेजे गए पत्र के बाद एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का से भी दो बार मिल चुके हैं, मगर उनके द्वारा भी सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है। धरातल कुछ भी होता नहीं दिख रहा है। दुम्का ने बुजुर्ग को ये कहकर लौटा दिया कि क्षेत्र नगर निगम के तहत आता है, इसमें वो कुछ नहीं कर सकते हैं, दूसरी बार सचिव ने उन्हें कहा कि उनके पास अगली बार सभी दस्तावेज लेकर आए। असलियत ये है कि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।

 

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