भ्रष्टाचारः सरकारी खजाने को निकायों द्वारा लगाई जा रही करोड़ो रूपयों की चपत

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देहरादून। संवाददाता। खाद्य विभाग में अरबों के घोटाले के बाद अब स्थानीय निकायों में करोड़ों रूपयों का घोटाला सामने आया है। राज्य में स्थानीय निकायों में करोड़ों के सरकारी धन की बंदर बांट का मामला सामने आने से लोगों में हड़कंप है।

 

सरकार को बने छह महीने ही हुए हैं, लेकिन तीन बड़े घोटालों का जिम्मेंदार कौन है, सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बना हुआ है। एनएच घोटाला, खाद्यान्न घोटाले के बाद अब स्थानीय निकायों में करोड़ों के सरकारी धन की लूट का खुलासा हुआ है।

 

सूबें के नगर निकाय मैदान हों या पहाड़ी क्षेत्र हालत एक समान है। जो सरासर मासूम जनता के हितों को ताक पर रखकर बड़ा घोटाला होना पुख्ता करता है।

 

बता दे कि करोड़ों की धनराशि बैंक खातों में बिना किसी वजह के रखी गई है। जिसके बूते करोड़ो की रकम पर ब्याज खाया जा रहा है। रकम कहां जा रही है, इसका कोई जवाब निकायों के पास नहीं है।

 

नगर निगम हों या छोटी नगर पालिकाएं, ठेकेदारों पर प्यार इस कदर लुटा रही हैं कि आयकर हो या व्यापार कर या प्रोक्योरमेंट नियमावली नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

 

मामलें का खुलासा हल्द्वानी और रूड़की समेत सात निकायों में आडिट रिपोर्ट से हुआ है।को जहां-तहां ताक पर धरा गया है। दो नगर निगमों हल्द्वानी और रुड़की समेत सात निकायों ने ऑडिट रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है।

 

पिछले कुछ सालों वर्षों करीब 50 करोड़ के सरकारी धन का गल जो वित्तीय अनियमितता को साफ तौर पर दर्शाता है।
मनमानी से करीबी ठेकेदारों को काम देने और विज्ञापन ठेकों के बहाने निकायों और सरकार को राजस्व का चूना लगाने में निकायों ने कोई कोरी कसर नहीं छोड़ी है।

 

बता दे कि निकायों की इस बंदरबांट से भवन कर की वसूली और पुनरीक्षण में जमकर लापरवाही सामने आई है। सरकार के राजस्व में होने वाली बढ़ोतरी में लिये जाने वाले करों को स्वार्थ की भेंट चढ़ा दिया गया है।

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