आर्टिकल 370 खत्म होने से दून में रहने वाले कश्मीरी छात्रों के चेहरे खिले

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देहरादून। संवाददाता। गृह मंत्री अमित शाह ने आर्टिकल 370 और 35ए हटाने जाने का प्रस्ताव रखते हुए राज्यसभा में कश्मीर के युवाओं की बात भी उठाई थी। गृहमंत्री ने कहा था कि आर्टिकल 370 से कश्मीर के युवाओं को पढ़ने के, रोज़गार के मौके नहीं मिल पा रहे हैं, यह हटने के बाद मिलेंगे। उन्होंने आर्टिकल 370 को कश्मीर की महिलाओं के ख़लिफ़ भी बताया था। कांग्रेस और बाकी विपक्ष भले ही गृहमंत्री की बात से सहमत न हो लेकिन कश्मीरी युवा हैं, ख़ासतौर पर कश्मीरी युवतियां काफी खुश हैं।

रोज़गार मिलेगा

उत्तराखण्ड और ख़ासतौर पर देहरादून में बड़ी संख्या में कश्मीरी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। ऐसे ही कुछ स्टूडेन्ट्स से बात की गई तो उन्होंने कुछ ऐसी बातें भी शेयर कीं जो एक कश्मीरी ही कर सकता है। कोहशीन पिछले 4 साल से देहरादून में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। आर्टिकल 370 हटने की ख़ुशी उनके चेहरे पर साफ़ छलकती दिखती है। वह कहती हैं कि कश्मीर में पढ़ने का सपना तो उनका पूरा नहीं हो पाया लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि नौकरी अपने राज्य में कर पाएंगी। कोहशीन कहती हैं कि आर्टिकल 370 की वजह से कश्मीर में कोई एमएनसी नहीं हैं। यह हटने के बाद उम्मीद जगी है एमएनसी और बड़ी भारतीय कंपनियां भी कश्मीर में निवेश करेंगी और कश्मीरी युवाओं को वहां नौकरी मिलेगी।

बेटियों से भेदभाव दूर होगा

जम्मू की रहने वाली सिमरन भी आर्टिकल 370 और 35ए हटाए जाने से ख़ुश हैं. वह कहती हैं कि जम्मू कश्मीर के स्टूडेन्ट्स के लिए वहीं पढ़ना और नौकरी कर पाने की संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही लड़कियों के साथ जो भेदभाव होता रहा है वह भी दूर होगा। आर्टिकल 35ए एक प्रावधान के अनुसार राज्य की किसी महिला की शादी अगर राज्य से बाहर के किसी व्यक्ति से होती है तो वह अपनी परिवारिक संपत्ति से अधिकार खो देती है। सिमरन कहती हैं कि इस प्रावधान के ख़त्म होने से जम्मू-कश्मीर की बेटियों को उनके अधिकार मिलेंगे और सम्मान के साथ अपने राज्य की बेटी बनी रहेंगी।

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