सुषमा स्वराज का देवभूमि से था खान कनैक्शन

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देहरादून। संवाददाता। दिवंगत सुषमा स्वराज का उत्तराखण्ड से ऐसा गहरा नाता था जिसे किस्मत की बात कह सकते हैं। 19 साल पहले लॉटरी के ज़रिए सुषमा स्वराज उत्तराखण्ड को मिली थीं। अजीब बात है न प्रदेश के बंटवारे के समय की घटनाएं जिनके ज़हन में हैं, उन्हें याद याद होगा कि साल 2000 में केन्द्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उत्तराखण्ड को अलग राज्य का दर्जा दिया था। विधायकों से लेकर सांसदों तक का बंटवारा हुआ। अविभाजित यूपी से राज्यसभा के सांसदों का भी बंटवारा हो रहा था और यह तय करना था कि उत्तराखण्ड से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व कौन करेगा।

कोई फ़ॉर्मूला नहीं सूझा तो तय हुआ कि लॉटरी निकाली जाए। उत्तराखण्ड के लिए तय की गई तीन सीटों के लिए जो लॉटरी निकाली गई उसमें सुषमा स्वराज का भी नाम आया। इस तरह वे उत्तराखण्ड से राज्यसभा की सांसद बनीं। उनके साथ अन्य दो संघप्रिया गौतम और मनोहर कांत ध्यानी भी लॉटरी से सांसद चुने गए थे।

राज्यसभा सांसद चुने जाने के दौर को याद करते हुए उत्तराखण्ड सरकार में मंत्री मदन कौशिक कहते हैं कि उन्होंने तब कहा था कि देखो किस्मत ने मुझे देवभूमि की सेवा करने के लिए चुना है। कौशिक बताते हैं कि अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने बहुत कुछ उत्तराखण्ड के विकास के लिए किया।

एम्स ऋषिकेश
उत्तराखण्ड से राज्यसभा का सांसद रहते हुए सुषमा स्वराज की इस प्रदेश को सबसे बड़ी देन ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना थी। भाजपा के एक नेता ने बताया कि तब एम्स की स्थापना कहां की जाए इसे लेकर बड़ी खींचतान मची थी।

देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार के नेताओं के बीच होड़ मची थी कि उनके क्षेत्र में ही एम्स की नींव रखी जाये लेकिन, सुषमा स्वराज ने ऐसा निर्णय लिया जिससे कोई असमहत नहीं हो पाया। उन्होंने बोला था कि इसकी स्थापना ऐसी जगह होनी चाहिए जहां से सभी के लिए सहूलियत हो और इसी के मद्देनजर एम्स की स्थापना हरिद्वार और देहरादून के बीच ऋषिकेश में की गई।

दूरदर्शन केन्द्र
हरिद्वार बाई पास रोड पर बना दूरदर्शन का भवन भी सुषमा स्वराज की देन है। आज इस केन्द्र से उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों तक रेडियो और टीवी पर स्थानीय भाषा के प्रोग्राम पहुंच रहे हैं। इसे भी सुषमा स्वराज ने अपने सूचना प्रसारण मंत्री रहते हुए सेंक्शन किया था।

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