सेमेस्टर प्रणाली के विरोध में एबीवीपी का सचिवालय कूच, पुलिस ने पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर रोका

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देहरादून। कॉलेज में सेमेस्टर प्रणाली के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) आज सचिवालय कूच किया। जिसे पुलिस फोर्स द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर पहले ही रोक दिया गया। इस दौरान छात्रों और पुलिस कर्मियों में झड़प भी हुई। इससे पहले अभाविप से जुड़े छात्र और सदस्य डीएवी पीजी कॉलेज में एकत्र हुए। जहां अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने सेमेस्टर सिस्टम के खिलाफ बात की। उन्होंने कहा कि सरकार तुरंत यूजी सेमेस्टर खत्म करे और वार्षिक परीक्षा लागू करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा।

वहीं प्रदेश छात्रसंघ कार्य प्रमुख संकेत नौटियाल ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली छात्रों के हित में नहीं है। साल में दो बार परीक्षाएं व कई बार आंतरिक परीक्षाएं आयोजित करने से छात्रों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है।

यदि छात्र एक सेमेस्टर में खराब प्रदर्शन करे तो उसका पूरा साल खराब हो रहा है। विवि की ओर से पहले ही अंक तालिका देरी से जारी की जाती है। जिससे छात्रों को अगले सेमेस्टर में प्रवेश लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं। इसे लेकर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री व सीएम को भी ज्ञापन सौंपा जा चुका है।

डीएवी कॉलेज के गेट पर एनएसयूआई का धरना
उत्तराखंड के महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी सहित कई अव्यवस्थाओं को लेकर एनएसयूआई चरणबद्ध आंदोलन कर रहा है। इसके तहत आज प्रदेश के सभी डिग्री कॉलेजों में तालाबंदी की जाएगी। आज सुबह एनएसयूआई के कार्यकर्ता देहरादून स्थित डीएवी पीजी कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गए और उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत के खिलाफ नारेबाजी की। जिसके बाद उन्होंने कॉलेज के चुनाव अधिकारी गोपाल क्षेत्री का घेराव किया। इस दौरान पुलिस की टीम भी मौके पर मौजूद रही।

31 अगस्त को एनएसयूआई कार्यकर्ता सचिवालय कूच करेंगे। आज को होने जा रही तालाबंदी से ठीक एक दिन पहले उच्च शिक्षा उप निदेशक डॉ. एनएस बनकोटी ने सभी कॉलेजों को पत्र जारी किया। जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी सूरत में किसी भी कॉलेज में आज कोई धरना-प्रदर्शन या तालाबंदी की घटना नहीं होनी चाहिए।

फिर चाहे इसके लिए पुलिस-प्रशासन की मदद लेनी पड़े। इस पत्र के बाद सभी कॉलेजों ने पुलिस-प्रशासन के संज्ञान में मामला डाल दिया है। जबकि एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी का आरोप है कि इस तरह का आदेश जारी कर आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे।

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