प्रदेश कैबिनेट का निर्णय; सात से 13 दिसंबर तक गैरसैंण में होगा चतुर्थ विधानसभा का तीसरा सत्र; ऋषिकेश-कोटद्वार को नगर निगम घोषित करने सहित लिए गए अनेक जनहित के निर्णय

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  • गैरसैंण को राजधानी बनाने की माग कर रहे लोगो की उम्मीद बढ़ी  
  • सत्र भराड़ीसैंण स्थित निर्माणाधीन विधानसभा भवन में होगा
  • ऋषिकेश व कोटद्वार नगर पालिकाएं बनी नगर निगम
  • आपदा प्रभावितों को मकान बनाने के लिए मिलेगी चार लाख की मदद 

देहरादून (संवाददाता) : उत्तराखंड विधान सभा का सत्र सात दिसंबर से 13 दिसंबर तक गैरसैंण में आहूत होगा। कल हुई प्रदेश कैबिनेट में   इस सम्बन्ध में फैसला लिया गया। हालांकि यह अनंतिम फैसला है और उसमें बदलाव भी हो सकता है। बहरहाल सत्र के फैसले से प्रदेश में अब गैरसैंण को राजधानी बनाने की माग कर रहे लोगो की उम्मीद बढ़ गई है।

बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में 15 मसलों पर फैसले लिए गए। नए मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने भी कैबिनेट में बतौर कैबिनेट सचिव हिस्सा लिया। बैठक के बाद प्रदेश सरकार के शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सत्र भराड़ीसैंण स्थित निर्माणाधीन विधानसभा भवन में होगा। उन्होंने बताया कि उपखनिजों की ई टेंडरिंग की शर्त से खड़िया को बाहर कर दिया गया है। फिलहाल उत्तरकाशी व हरिद्वार जिलों में लागू उत्तराखंड बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिनियम-2012 के तहत अब उत्तरकाशी का गंगोरी से बड़ेथी चौकी तक का 10 किलोमीटर क्षेत्र व हरिद्वार जिले में हरिद्वार से लक्सर तक का 50 किमी का क्षेत्र शामिल कर दिया गया है।

मदन कौशिक ने बताया कि नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ हाइड्रोलॉजी ने दोनों क्षेत्रों की फ्लड जोनिंग रिपोर्ट दे दी है, जिसके आधार पर इन क्षेत्रों में रेगुलेटेड ढंग से कार्य होंगें। कैबिनेट ने 21 अगस्त 2012 को हुई कैबिनेट बैठक में इस अधिनियम को अध्यादेश के रूप में नोटिफाई करने का फैसला लिया था। अब इसे फिर से विधानसभा में रखा जाएगा।

कैबिनेट में लिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार पर्वतीय जिलों में जनपद स्तरीय विकास प्राधिकरणों के गठन को हरी झंडी दे दी है। इन प्राधिकरणों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य मार्ग के बीच से दोनों ओर 200 मीटर के दायरे में स्थित राजस्व ग्रामों को शामिल किया जाएगा और इन क्षेत्रों में व्यावसायिक निर्माण के लिए नक्शे प्राधिकरण से पास कराने होंगे। हालांकि इसमें लोगों को एक बड़ी राहत यह दी गई है कि प्राधिकरण के दायरे में आने वाले क्षेत्र में 200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली एकल परिवार या संयुक्त परिवार की रिहाइशी इमारत और 30 वर्ग मीटर की स्वयं द्वारा संचालित इमारत के निर्माण के लिए मानचित्र पास कराना जरूरी नहीं होगा। इन निर्माणों को बिल्डिंग बायलॉज के न्यूनतम मानकों से खुद ही छूट मिलेगी। बशत्रे वह मानक के मुताबिक व भूकंपरोधी हो।

ऋषिकेश व कोटद्वार नगर पालिकाएं बनी नगर निगम

कैबिनेट ने ऋषिकेश नगर पालिका और कोटद्वार नगर पालिका को नगर निगम बनाने का फैसला लिया है। हालांकि कोटद्वार के मामले में डीएम की सिफारिश पर कुछ संशोधन की दरकार है। इसलिए कोटद्वार पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार मुख्यमंत्री को सौंप दिया गया है। इस फैसले से प्रदेश में नगर निगमों की संख्या बढ़कर आठ हो जाएगी। श्री कौशिक ने बताया कि पहले ऋषिकेश व कोटद्वार नगर निगम के मानक पर खरे नहीं उतर रहे थे, क्योंकि नगर निगम के लिए 2011 की जनगणना के मुताबिक मैदानी क्षेत्र में एक लाख व पर्वतीय क्षेत्र में 90 हजार की आबादी की दरकार होती है, लेकिन सरकार के इन दोनों नगर पालिकाओं का सीमा विस्तार कर देने से ऋषिकेश की आबादी अब एक लाख 21 हजार 250 तो कोटद्वार की आबादी एक लाख 2 903 हो गई है।

आपदा प्रभावितों को मकान बनाने के लिए मिलेगी चार लाख की मदद 

कैबिनेट ने राज्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित गांवों या परिवारों के दूसरी जगह विस्थापन या पुनर्वास के लिए पुनर्वास नीति 2011 के तहत पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान निर्माण के लिए धनराशि को तीन लाख से बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दिया है। यह राशि उसी परिवार को मिलेगी जिसका आपदाग्रस्त क्षेत्र में स्वयं का भवन था।

 

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