गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर में शीतकालीन सत्र; नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश ने कहा तब गैरसैण में ठण्ड होती है

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा-कांग्रेस की नीयत में गैरसैंण को लेकर खोट है। कांग्रेस पहले गैरसैंण-गैरसैंण करती रही और जब गैरसैंण सत्र की तिथि आयोजित हुई तो अब वे ठंड का बहाना ढूंढ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस पहाड़ की ठंड सहन नहीं कर सकती उसे पहाड़ के अथवा गैरसैंण के सवाल पर बोलने का कोई अधिकार नहीं रह जाता।

देहरादून (संवाददाता) : नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश ने दिसम्बर में गैरसैण में विधान सभा सत्र बुलाये जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि तब वहाँ बहुत ठण्ड पड़ती है। भाजप -कांग्रेस के एक दुसरे पर वार-प्रतिवार से गैरसैंण राजधानी का मामला उलझता जा रहा है।  

गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा परिसर में शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस तथा भाजपा के बीच सियासत गरमाने के आसार बढ़ गए हैं। इस मामले को लेकर यहां कांग्रेस ने गैरसैंण में शीतकाल में सत्र के आयोजन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं भाजपा ने कांग्रेस को गैरसैंण मामले में कठघरे में खड़ा कर उसे घेरने की कवायद शुरू कर दी है।

दरअसल राज्य में भाजपा सरकार काबिज होने के बाद कांग्रेस गैरसैंण के सवाल पर भाजपा को घेरती रही है। इस मामले में हालांकि भाजपा अपने घोषणा पत्र में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का उल्लेख कर चुकी है और सत्ता संभालने के बाद हुए विधानसभा सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार ने गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी का संकल्प जताया था। हालांकि पिछले साल नवंवर में जब कांग्रेस ने भराड़ीसैंण में ही सत्र आयोजित किया था तो तब भाजपा ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की जोरदार वकालत की थी।

इस मामले में कांग्रेस तथा भाजपा के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है। इसके बावजूद अभी तक न तो स्थायी राजधानी और न ही ग्रीष्मकालीन राजधानी के सवाल पर ही कोई निर्णय हो सका है। यह अलग बात है कि मौजूदा स्पीकर प्रेम चंद्र अग्रवाल गैरसैंण के पक्ष में अपना मंतव्य जाहिर कर चुके हैं। यही वजह है कि स्वतंत्रता दिवस पर वह विधान सभा परिसर भराड़ीसैंण में झंडारोहण तक को पहुंचे थे किंतु तब मौसम खराबी के कारण उनका हेलीकॉप्टर भराड़ीसैंण नहीं उतर पाया था। अब राज्य सरकार ने सात से 13 दिसंबर तक भराड़ीसैंण के विधानसभा परिसर में शीतकालीन सत्र का आयोजन प्रस्तावित किया है तो सत्र को लेकर भाजपा तथा कांग्रेस के बीच सियासी जंग भी शुरू हो चुकी है।

इस मामले में कांग्रेस नेत्री व नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश ने गैरसैंण सत्र को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होने कहा कि विपक्ष की आलोचनाओं से बचने के लिए सरकार ने गैरसैंण में शीतकालीन सत्र आयोजित किया है। उन्होंने सरकार से ही सवाल किया है कि आखिर वह ग्रीष्मकालीन राजधानी में शीतकालीन सत्र क्यों कराना चाहती है? उनका यहां तक कहना था कि गैरसैंण में शीतकालीन सत्र कराने से पहले पूरी सुविधाएं जुटाई जानी चाहिए। चूंकि दिसंबर में गैरसैंण में रात का तापमान काफी गिर जाता है। ऐसे में सत्र की व्यवस्थाओं में लगे कर्मचारियों व अधिकारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ेगी।

उन्होने यहां तक कहा कि मंत्रियों तथा विधायकों के लिए तो सुविधाएं मिल जाएंगी किंतु सैकड़ों कर्मचारियों, पुलिस और अन्य लोगों को भारी ठंड के दौर से गुजरना पड़ेगा। उन्होंने इस मामले में सरकार से पुनर्विचार को भी कहा। इंदिरा ने यहां तक जोड़ा कि विपक्ष सरकार को शीतकालीन सत्र में बचने का कोई मौका नहीं देगा। इस सत्र में सदन में हंगामे के बजाय सरकार पर सवाल दाग कर लोगों की परेशानियों को उठाया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष के इस बयान के उलट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी गैरसैंण मसले को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलने में जरा सी भी चूक नहीं की। जब इंदिरा हृदयेश देहरादून में इस मामले में बुधवार को सरकार को निशाने पर ले रही थी तो गोपेश्वर में ही भट्ट ने कांग्रेस पर हमला बोल दिया। कहा कि गैरसैंण-गैरसैंण करने वाली कांग्रेस अब दिसंबर में आयोजित होने वाले सत्र को ठंड का बहाना देकर भाजपा सरकार को कोस रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीयत में गैरसैंण को लेकर खोट है। कांग्रेस पहले गैरसैंण-गैरसैंण करती रही और जब गैरसैंण सत्र की तिथि आयोजित हुई तो अब वे ठंड का बहाना ढूंढ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस पहाड़ की ठंड सहन नहीं कर सकती उसे पहाड़ के अथवा गैरसैंण के सवाल पर बोलने का कोई अधिकार नहीं रह जाता। हालांकि पहले कांग्रेस ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित करने की बात करती रही है किंतु तब सरकार ने गर्मियों में यात्रा सीजन का हवाला देकर इस सत्र को गैरसैंण में आयोजित करने में असमर्थता जता दी थी। अब चूंकि भाजपा तथा कांग्रेस में गैरसैंण सत्र को लेकर सियासत का दौर शुरू हो गया है तो माना जा रहा है कि गैरसैंण सत्र पर भी सियासत का रंग चढ़ता रहेगा।

इसलिए गैरसैंण अथवा भराड़ीसैंण की हाड़ कंपाती दिसंबर की ठंड में यहां का सियासी पारा गर्म रहने के आसार भी अभी से बनने लगे हैं। अब देखना यह है कि शीतकालीन सत्र का भाजपा तथा कांग्रेस के बीच शुरू हुआ यह शीतयुद्ध क्या गुल खिलाता है। यह सब भविष्य के गर्भ में है। 

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