सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं भगवान शिव, स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने भक्‍तों को श‍िव मह‍िमा से कराया अवगत

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हरिद्वार: लोककल्याण के लिए नीलधारा तट स्थित श्रीदक्षिण काली मंदिर में विशेष शिव अनुष्ठान कर रहे निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि देवों के महादेव शिव ही संसार का आदि और अनंत हैं।

मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले महादेव शिव की महिमा है अपरम्पार

श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की शरण में आने वाले साधक के जीवन की सभी दुश्वारियां दूर हो जाती हैं। विशेष अनुष्ठान के सातवें दिन भारी बरसात के बीच श्री दक्षिण काली मंदिर पहुंचे श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले महादेव शिव की महिमा अपरम्पार है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव ही हैं। त्रिदेवों में संहार के देवता माने गए शिव ही अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं।

सच्चे मन से की गयी प्रार्थना अवश्य स्वीकार करते हैं भोलेनाथ

सभी को समान दृष्टि से देखने वाले शिव में ही समस्त संसार समाहित है। भगवान शिव को बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन का स्नान प्रिय है। दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद आदि पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कर श्रद्धापूर्वक उनका ध्यान और प्रार्थना करें। सच्चे मन से की गयी प्रार्थना भोलेनाथ अवश्य स्वीकार करते हैं और श्रद्धालु भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी रघुवीरानन्द, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज, पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

भगवान श‍िव को प्रिय है ब‍िल्‍वपत्र, पुष्‍प, चंदन का स्‍नान

को समान दृष्टि से देखने वाले शिव में ही समस्त संसार समाहित है। भगवान शिव को बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन का स्नान प्रिय है। दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद आदि पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक कर श्रद्धापूर्वक उनका ध्यान और प्रार्थना करें। सच्चे मन से की गयी प्रार्थना भोलेनाथ अवश्य स्वीकार करते हैं और श्रद्धालु भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी रघुवीरानन्द, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज, पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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