मुंबई आतंकी हमले में घायल मरीन कमांडो लद्दाख की 18380 फीट ऊंची चोटी पर दौड़ेगा

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  • मरीन कमांडो प्रवीण तेवतिया ने
  • हमले में सीने में कई गोलियां लगीं थी 
  • 1 सितंबर को मैराथन में शिरकत करने के लिए लद्दाख पहुंचेंगे
  • 72 किलोमीटर लंबा रूट अल्ट्रा मैराथन का निर्धारित किया है 
  • 18380 फीट ऊंचाई पर खारदुंगला की सड़कों पर दौड़ेंगे

मुंबई के ताज होटल पर हुए आतंकवादी हमले में कई गोलियां सीने पर खाने वाले बहादुर मरीन कमांडो प्रवीण तेवतिया अब दुर्गम लद्दाख में आयोजित मैराथन दौड़ में अपनी ताकत दिखाएंगे। बता दें कि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए गोलियों ने उनके फेफड़े भेद दिए थे। कई ऑपरेशन हुए और नौ साल इलाज चला, मगर उन्होंने हौसला नहीं खोया।

जबकि वह फेफड़े की कई बीमारियों से ग्रस्त हैं और डॉक्टरों की हिदायत है कि वह ऑक्सीजन की कमी वाले दुर्गम इलाकों में न जाए। लेकिन यह प्रवीण तेवतिया का जज्बा ही है कि न केवल वह लद्दाख जा रहे हैं, बल्कि वहां अल्ट्रा मैराथन में दौड़ेंगे।

उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले स्थित भटौना गांव के रहने वाले तेवतिया 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के समय मरीन ड्राइवर थे।कमांडो ऑपरेशन करने वाली दूसरी टीम में शामिल होकर वह होटल पहुंचे थे। घुप्प अंधेरे कमरे में तीन आतंकी छिपे थे। जान की परवाह न करते हुए वह कमरे में घुस गए। आतंकवादियों ने प्रवीण तेवतिया पर गोलियां बरसा दीं। एक गोली सीने से आर-पार हो गई, लेकिन घायल होने के बावजूद प्रवीण तेवतिया हार नहीं मानी और तीन आतंकियों को ढेर कर दिया।

वीरता को सम्मानशौर्य चक्र से सम्मानित

प्रवीण तेवतिया की वीरता से अनुग्रहीत देश ने भी अपने लाल को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने प्रवीण तेवतिया को शांतिकाल के शीर्ष वीरता पदकों में शामिल शौर्य चक्र से सम्मानित किया।

बूढ़ी महिला बनी प्रेरणा

प्रवीण ने बताया कि 2012 में मुंबई में उन्होंने 64 वर्षीय बूढ़ी महिला को दौड़ते हुए देखा, जिससे उन्हें प्रेरणा मिली। इसके बाद वह पैदल और फिर दौड़ना शुरू किया। 2015 में हाफ मैराथन में हिस्सा लिया। पांच साल की कड़ी मेहनत से वह खुद को राष्ट्रीय धावक बने।

जज्बा कमजोर फेफड़ों पर रहा हावी

तेवतिया को लगी गोली से उनका फेफड़े बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। शरीर में संक्रमण फैल गया था। डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत से फेफड़े के सात ऑपरेशन कर जान बचाई। हालांकि, उन्होंने सख्त हिदायत दी कि वह भारी काम नहीं करें जिसमें ऑक्सीजन की अधिक जरूरत होती है, क्योंकि शरीर कमजोर है।

 

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