श्रीनगर जलविधुत परियोजना बन सकती खतरे का सबब

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श्रीनगर। संवाददाता। अलकनंदा में बनी 330 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजना कभी भी किसी बड़ी जनहानि का सबब बन सकती है। बांध से पावरहाउस तक पानी पहुंचाने वाली नहर में कई जगह पर लीकेज हो रही है जो ग्रामीणों की जान आफ़त में डाल सकती है। इस आशंका की तस्दीक भूवैज्ञानिक भी कर रहे हैं और मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी एक समिति ने इस मामले की जांच भी की है लेकिन इस परियोजना को संचालित कर रही कंपनी जीवीके को इसकी कतई भी परवाह नहीं है।

दहशत में ग्रामीण

330 मेगावाट विद्युत क्षमता की श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की शक्ति नहर में फिर शुरु हुए रिसाव ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। पिछले साल किसी तरह नहर में टल्ले लगाकर किए गए ट्रीटमेंट के फेल होने के बाद अब नहर के लीकेज से रास्तों में चौड़ी दरारें पड़ गई हैं।

भूकटाव की वजह से मंगसू, गुगली और सुरासू गांवों पर खतरा पैदा हो गया है. स्थानीय ग्रामीण अब यहां से विस्थापन की मांग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगातार यह डर सताता रहता है कि नहर की लीकेज से कभी भी उनकी जान पर बन सकती है।

ख़राब डिज़ाइन, ख़राब गुणवत्ता

नहर निर्माण के वक्त से ही नहर के डिज़ाइन, निर्माणशैली और गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट और गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिकों की जांच में भी इस बात की पुष्टि हुई है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर यशपाल सुन्दरियाल साफ़ शब्दों में कहते हैं कि नहर का डिज़ाइन और गुणवत्ता बहुत ख़राब है और अब इसकी वजह से ख़तरा बहुत बढ़ गया है।

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