पिथौरागढ़ के वरिष्ठ पत्रकार डा0 दीपक उप्रेती का कोरोना संक्रमण से हुआ निधन

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मुआनी के निकट विनायक गांव के निवासी दीपक उप्रेती ने 80 के दशक से पत्रकारिता शुरू की। पिथौरागढ़ के साथ कुछ समय के लिए उन्होंने चंपावत में बतौर ब्यूरो चीफ दायित्व निभाया। अमर उजाला से अवकाश होने के बाद डॉ. उप्रेती पर्वत पीय़ूष अखबार के कार्यकारी संपादक का दायित्व निभा रहे थे। डॉ. उप्रेती ने कुमाऊं की खड़ी होली पर अपना शोध प्रबंध लिखा था। कुछ दिन पहले उनका स्वास्थ्य खराब हुआ और उन्हें पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

पिथौरागढ़ : जिले के वरिष्ठ पत्रकार डा0 दीपक उप्रेती का कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया। डा0 उप्रेती को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, उन्हें बेंटिलेटर में रखा गया था, आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। डा. उप्रेती लंबे समय से पिथौरागढ़ में अमर उजाला के प्रभारी रहे। यहां से उनकी सेवा निवृत्ति हो गई थी। कुमाउं की खड़ी होली पर उन्होंने शोध प्रबंध लिखा था, जिस पर उन्हें डाक्टरेड उपाधि मिली थी। वे मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के थल-मुवानी क्षेत्र के विनायक गांव के रहने वाले थे। रिटायरमेंट के बाद वह पिथौरागढ़ में ही किराये के मकान में रह रहे थे। और कुछ अखबारों से जुड गए थे। कुछ दिन पहले उन्हें बुखार की शिकायत हुई और जांच करने पर कोरोना पाजिटिव पाए गए थे।

पिछले चार दशक के अपने सफर में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. उप्रेती ने पत्रकारिता के सभी उच्च मानदंडों का ताउम्र पालन किया। उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता के सभी कायल रहे हैं। उनके निधन से समूचे कुमाऊं के पत्रकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

पिथौरागढ़ जिले के थल मुआनी के निकट विनायक गांव के निवासी दीपक उप्रेती ने 80 के दशक से पत्रकारिता शुरू की। पिथौरागढ़ के साथ कुछ समय के लिए उन्होंने चंपावत में बतौर ब्यूरो चीफ दायित्व निभाया। अमर उजाला से अवकाश होने के बाद डॉ. उप्रेती पर्वत पीय़ूष अखबार के कार्यकारी संपादक का दायित्व निभा रहे थे। डॉ. उप्रेती ने कुमाऊं की खड़ी होली पर अपना शोध प्रबंध लिखा था। कुछ दिन पहले उनका स्वास्थ्य खराब हुआ और उन्हें पिथौरागढ़ कि जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

डॉ. अपने पीछे पत्नी व पुत्री तथा पुत्र को छोड़ गए हैं। उनके साथ कई वर्ष तक काम कर चुके जनपक्ष आजतक के सम्पादक रहे वरिष्ठ पत्रकार गिरीश जोशी कहते हैं कि पत्रकारिता के क्षेत्र में इतने सरल स्वभाव के कम ही लोग रहे हैं। डॉ. उप्रेती की आर्थिक स्थिति उनकी ईमानदारी का परिचायक कही जा सकती है। उनके निधन से पत्रकार के साथ ही एक बेहतर इंसान भी दुनिया से चल दिया है जोकि समाज के लिए भी क्षति है।

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