लोस चुनाव में कांग्रेस की होगी कड़ी परीक्षा

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देहरादून। संवाददाता। सूबें के नेताओं को शायद ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उनकी बारी पहले ही चरण में आ जायेगी। चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार सूबे की पांच लोकसभा सीटों के लिए 11 अपै्रल को मतदान होगा। यानि ठीक एक महीने बाद। इसके लिए नामांकन 18 से 25 मार्च तक होगा, 26 को नामांकन पत्रों की जांच होगी व 28 तक नामांकन वापस लिये जा सकेंगे।


राजनीतिक दलों द्वारा अब हर हाल में 18 से 20 मार्च तक अपने प्रत्याशी तय करने होगें। यानि सिर्फ 8 से 10 दिन का समय ही इस काम के लिए मिल सकेगा। वहीं चुनाव प्रचार के लिए भी इन प्रत्याशियों को सिर्फ 15 दिन का समय ही मिल सकेगा। यही कारण है कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही राज्य निर्वाचन आयोग भी हरकत में आ गया है वहीं राजनीतिक दल भी एकदम सक्रिय हो गये है।

हालंकि इसका पूर्वानुमान तो सभी दलों को था कि कभी भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा हो सकती है लेकिन 2014 में राज्य में 7 मई को मतदान हुआ था इसलिए उम्मीद यही लगाई जा रही थी कि राज्य में चुनाव अपै्रल के अंत या मई के पहले सप्ताह में हो सकते है। अगर ऐसा होता तो प्रत्याशियों के चयन तथा अन्य तैयारियों के लिए दलों व नेताओं को थोड़ा अधिक समय मिल सकता था। लेकिन अब उन्हे तय समय सीमा में ही सारा काम निपटाना है। इसलिए बहुत अधिक चिंतन मथंन का समय उनके पास नहीं होगा। सब कुछ फटाफट ही निपटाना होगा। जल्द बाजी में कुछ उल्टा पुल्टा भी हो सकता है लेकिन इस कम समय मिलने का यह फायदा भी है कि असंतुष्टों को उछल कूद का मौका और अवसर भी कम होगें।


मोदी लहर में 2014 में सभी पांच सीटें जीतने वाली भाजपा पौड़ी सीट को छोड़कर सभी अन्य चार सीटों पर पुराने प्रत्याशियों पर ही दांव लगा सकती है। सांसद बी.सी. खण्डूरी क्योंकि स्वास्थ्य कारणों से चुनाव न लड़ने की बात कह रहे है। अतः भाजपा को सिर्फ पौड़ी सीट पर ही नये प्रत्याशी की तलाश होगी। जबकि कांग्रेस सभी पांचो सीटों पर नये सिरे से नये प्रत्याशियों के नामों पर विचार कर रही है। भाजपा के मुकाबले प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया कांग्रेस के लिए अधिक मुश्किल दिख रही है तथा इस बार कई ऐसे नये चेहरे चुनाव मैदान में दिख सकते है जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेगें। भाजपा व कांग्रेस से कौन कहां से मैदान में होगा? इसकी तस्वीर आने वाले दस दिनों में साफ हो सकेगी।


कांग्रेस जो पिछले लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर हार गयी तथा विधानसभा चुनाव में भी जिसे करारी शिकस्त मिली थी उसके लिए यह चुनाव करो या मरो जैसे वाला है। भले ही 2004 के चुनाव जिसमे कांग्रेस को एक व बसपा को एक सीट मिली थी के बाद 2009 में काग्रेंस ने सभी पांच व 2014 के चुनाव में भाजपा ने सभी पांच सीटों पर जीत दर्ज की हो लेकिन भाजपा अगर 2019 में अपना 2014 का प्रदर्शन दोहराती है तो वह कांग्रेस राजनीतिक भविष्य के ताबूत में अंतिम कील जैसा ही होगा। यह चुनाव सूबे की कांग्रेस के लिए एक ऐसी अग्नि परीक्षा है जिसका परिणाम उसका भविष्य तय करेगा।

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