जनता होगी किसके साथ, हाथ या खिलेगा कमल

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देहरादून। संवाददाता। जनता थामेगी कांग्रेस का हाथ या फिर कमल दिखायेगा कोई कमाल? इसके फैसले की घड़ी करीब आ गयी है कल सूबे की जनता को अपने वोट की चोट के जरिए प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करना है।

कांग्रेस और भाजपा के नेता भले ही अपनीकृअपनी जीत के दावे कर रहे हों लेकिन जनता जनार्दन के मन में क्या है? इसका सही जवाब 23 मई को मतगणना के बाद ही मिल सकेगा। हां एक बात जरूर है कि इस चुनाव में सूबे के कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है वहीं यह चुनाव राज्य के दोनों बड़े दल भाजपा और कांग्रेस का भविष्य भी तय करने वाला है। भाजपा जिसकी राज्य व केन्द्र दोनों में ही सरकार है तथा 2014 के चुनाव में उसने एतिहासिक जीत दर्ज की थी, के सामने अपने उसी बेहतर प्रदर्शन को बनाये रखने की चुनौती है तो कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए बहुत कुछ है अगर वह 2009 के प्रदर्शन को दोहरा सकी तो वह राज्य में फिर मजबूती से खड़ी हो सकेगी।

कल इन पांच सीटों पर होने वाले चुनाव की सभी तैयारियंा पूरी हो चुकी है। चुनाव मैदान में कुल 52 प्रत्याशी है लेकिन सीधी टक्कर पांच भाजपा व पांच कांग्रेस यानि दस के बीच ही होगी। राज्य के 78.5 लाख मतदाताओं को कल यह फैसला करना है कि वह कांग्रेस के हाथ के साथ है या की कमल के फूल के साथ। जहंा तक प्रत्याशियों की बात है तो भाजपा ने हरिद्वार, अल्मोड़ा और टिहरी सीटों पर अपने सिटिंग सांसदों पर भरोसा जताया है जबकि पौड़ी और नैनीताल सीट पर पूर्व व वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत और अजय भट्ट को चुनाव मैदान में उतारा है।

वर्तमान चुनाव में सबसे ज्यादा दिलचस्प मुकाबला नैनीताल सीट पर माना जा रहा है। क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ और कद्दावर नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत चुनाव मैदान में है जो पिछले विधानसभा चुनाव में दोकृदो सीटों पर चुनाव लड़कर भी हार चुके है तथा 2009 के चुनाव में हरिद्वार सीट पर डा. निशंक के मुकाबले अपनी पत्नी को भी चुनाव नहीं जिता सके थे। इस सीट पर कांग्रेस और हरीश रावत की हार का मतलब क्या होगा इसे हरीश रावत अच्छी तरह से जानते है। उनकी सिर्फ जीत ही उनके राजनीतिक भविष्य को बनाये रख सकती है। वहीं इस सीट पर उनके सामने चुनाव लड़ने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट जो मोदी लहर में भी अपना विधानसभा चुनाव हार गये थे जब भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीती थी।

उनकी जीत हार पर उनका भी राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है। वहीं डा. निशंक जो हरिद्वार से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। क्योंकि सपाकृबसपा गठबन्धन प्रत्याशी अंतरिक्ष के चुनाव मैदान में होने से उन्हे कड़ी चुनौती मिल रही है। पौड़ी सीट पर भी मनीष खण्डूरी के कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अपने पिता बीसी खण्डूरी की संसदीय सीट से उतरने पर मुकाबला कड़ा होने जा रहा है।

पलायन की पीड़ा से जुड़े मुद्दों से कोसो दूर रहे यह चुनाव। जिसमें कोई क्षेत्रीय मुद्दा प्रभावी नहीं है मतदाताओं के फैसले पर टिका है। टिहरी सीट पर चुनाव भी चुनौती पूर्ण होने वाला है। यहंा रानी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम की प्रतिष्ठा दांव पर है। मतदान में कुछ घंटे ही शेष बचे है। अब मतदाता ही इन प्रत्याशियों का भाग्य विधाता है।

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