पारा चढ़ते ही जंगल होने लगे आग के हवाले- प्रतिवर्ष के आंकड़ो पर डाले एक नजर

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देहरादून। संवाददाता। चुनावी गर्मी के बाद अब राज्य में मौसम भी गर्माने लगा है। दिन तपने लगे है और सूर्य ने आग उगलना शुरु कर दिया है। एसे में 70 फीसदी वन भूमि से आच्छादित उत्तराखंड में जगंल की आग एक बड़ी चुनौती बन कर सामने खड़ी है। आये दिन जंगलों लग रही आग से नुकसान का भी हर साल इजाफा होता जा रहा है।

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार फायर सीजन को देखते हुए सभी अधिकारी कर्मचारियों को अलर्ट किया जा चुका है तो वहीं आगामी फायर सीजन को देखते हुए छुट्टीयों को भी रद्द कर दिया गया है। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि आगामी फायर सीजन को देखते हुए तकरीबन 10 हजार क्रमचारियों की ववस्था सुनिश्चित की गई है जो की सीजन में आवश्यक्ता अनुसार उपयोग मे लिए जाएगें। इसके अलावा अधिकारियों को ज्यादातर फील्ड ड्युटी पर तैनात किया जाएगा।

आम लोगों को वनाग्नी के प्रति जागरुक किया जाएगा और बताया जाएगा कि वन केवल विभाग की नही बल्की आम लोगों की धरोहर है और इसकी रक्षा हर किसी को करनी होगी साथ ही एक टोल फ्री नम्बर 18001804141 भी जारी किया गया है। वर्षा जल संरक्षण किया जा रहा है। जीआईएस और सेटेलाइट इमेज के जरिए फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के साथ लगातार सामजंस्य बैठाया जा रहा है। वाछ टावर पर कर्मचारियों की तैनाती की जा चुकी है और राज्य में कई जगहों पर फोरेस्ट फायर कंट्रोल रुम बनाया गया है और इसके अलावा देहरादून में मौजूद मुख्यालय वन भवन में भी एक राज्यस्तरीय कंट्रोल रुम बनाया गया है जिस पर पूरे राज्य से कोई भी कई भी और किसी भी वक्त वनाग्नी के संबध में टोल फ्री नंबर 18001804141 से सूचना दे सकता है और ले सकता है।

बीते सालों में जहां एक तरफ उत्तराखंड के जंगलों में नियंत्रण से बाहर होती आग तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर फैलती अफवाओं ने भी उत्तराखंड वन महकमें की खुब किरकीरी की थी। उत्तराखंड के जंगलो में लगी आग के दौरान शोसल मीडिया पर ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में जले जानवरों की तस्वीरें खुब वायरल हुई थी जिसकों देखते हुए इस बार वन विभाग ने शोसल मीडिया पर इस तरह के भ्रामक प्रचार को नियत्रंण करने के लिए भी तैयारी की है।

अमुमन फायर सीजन 15 फरवरी से लेकर मानसून आने तक माना जाता है जो कि हर बार 15 जुन से पहले पूरा हो जाता है। ज्यादातर अप्रैल तक उत्तराखंड में मध्य अप्रैल तक मौसम में ज्यादा गर्मी नही होती है और फायर सीजन की वास्तविक चुनौती 15 अप्रैल के बाद ही शुरु होती है। इस बार भी उत्तराखंड में फायर सीजन ने हालांकी दस्तक काफी पहले दे दी थी लेकिन बड़ी चुनौती अब आगे है लेकिन जंगलों में आग ने तांडव मचाना शुरु कर दिया है। फायर सीजन के बीते 60 दिनो में ही इसकी एक तस्वीर कुछ इस तरह से है। 15 फरवरी से शुरु होने वाले फायर सीजन में अब तक के 60 दिनों में 24 वनाग्नी की घटनाएं घट चुकी है जिसमें उत्तराखंड के रिजर्व फोरेस्ट का 30.65 हैक्टियर और सिविल फोरेस्ट का 5 हैक्टियर जंगल आग में स्वाह हो चुका है तो वहीं इन सभी घटनाओं से अब तक गढ़वाल क्षेत्र में 6 मवेशियों सहित 43 हजार से ज्यादा के नुकसान का आंकलन सरकारी दस्तावेंजों में में किया जा चुका है लेकिन आगे आने वाले सीजन में स्थीती इतनी आसान नही रहने वाली है बल्की फोरेस्ट फायर को लेकर स्थीती बद से बत्तर भी हो सकती है। उत्तराखंड के वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस फायर सीजन के लिए 15 से 20 करोड़ का अनुमानित बजट रखा गया है।

–उत्तराखंड के जंगलो में पिछले 5 सालों में लगी आग का हाल–

– वर्ष 2014 –
वनाग्नि के वर्ष 2014 में 515 मामले सामने आये जिसमें से तकरीबन 930.33 हैक्टियर वन जल कर राख हो गये और 23.57 लाख का नुकसान पूरे फायर सीजन में हुआ।

-वर्ष 2015-
फोरेस्ट फायर की 412 घटनाएं सामने आयी और सूबे का 701.61 हैक्टियर जंगल राख हो गया जिसमें 7.94 लाख का नुकसाल बताया गया है।

-वर्ष 2016-
वनाग्नी के 2074 मामले सामने आये और प्रदेश का 4433.75 हैक्टियर जंगल जल कर राख हो गया जिसमें 46.50 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया था।

– वर्ष 2017-
वनों में आग की 805 घटनाएं चिन्हित की गई थी जिसमें सूबे का 1244.64 हैक्टियर वन राख हो गया और 18.34 लाख के नुकसान का आंकलन इस सीजन में किया गया।

वर्ष 2018-
उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नी की घटनाओं ने और तेजी पकड़ी है और पूरे सीजन 2150 घटनाएं सामने आयी और 4480.04 हैक्टियर जगल जल गया जिसमें 86.05 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया।

-वर्ष 2019 अब तक-
वहीं मौजूदा सीजन की बात की जाए तो हालत इस बार भी गभींर है। सीजन के अभी मात्र 60 ठण्डे दिन ही बीतें है और अभी पूरा भीषण गर्मी वाला सीजन बाकी है लेकिन अभी से तकरीबन 24 घटनाएं घट चुकी है जिसमें हजारों का नुकसान हो चुका है।

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