नागरिकता बिलः दो देशों की थ्योरी सच कर रही है सरकारः कपिल सिब्बल

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दिल्ली। लोकसभा में पहली परीक्षा पास करने के बाद नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार की अग्निपरीक्षा आज है। गृह मंत्री अमित शाह संशोधन बिल राज्यसभा में पेश कर दिया और चर्चा जारी है। इस बीच लोकसभा में बिल का समर्थन करने वाली शिवसेना के यूटर्न और जदयू में खटपट के बाद हालांकि विपक्ष का हौसला बढ़ा है, मगर इसके बावजूद संख्या बल सरकार के साथ है।

कपिल सिब्बल, कांग्रेस नेताः हम हिंदू और मुस्लिम देश के विरोध में हैं। दो देशों की थ्योरी सच कर रही है ये सरकार। आप संविधान की बुनियाद को बदल रहे हैं। संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि नया सवेरा आएगा, लेकिन इससे लाखों लोगों की काली रात खत्म नहीं होगी। देश के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। ये सिर्फ एक समुदाय पर हमला है। न मैं डरता हूं, न देश के नागरिक डरते हैं, न देश के मुसलमान डरते हैं। हम सिर्फ संविधान से डरते हैं।

बसपा के सतीश च्ंद्र मिश्र ने कहा- हमारी पार्टी नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करती है। आप मुस्लिमों के इससे बाहर रखकर अनुच्छेद 14 का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं। मुस्लिमों को इससे बिल से बाहर रखा गया है यही पूरी समस्या की जड़ है।

ये पाकिस्तान की संसद नहीं हैः शिवसेना
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि मैं कल से सुन रहा हूं कि जो इस बिल को समर्थन नहीं देगा वह देशद्रोही है। आज कहा गया है कि जो बिल के विरोध में हैं वो पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है। उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान की संसद नहीं है, अगर इतनी दिक्कत है तो पाकिस्तान को खत्म कर दें।

साथ ही उन्होंने कहा- हमें हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। जिस स्कूल में आप पढ़ते हो, हम उस स्कूल के हेड मास्टर हैं। हमारे स्कूल के हेडमास्टर बालासाहेब ठाकरे थे, अटल जी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी थे, हम सबको मानते हैं।

चिदंबरम बोले- श्रीलंका के तमिलों को क्यों शामिल नहीं किया गया
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इस विधेयक में कुछ अपवाद रखे गए हैं वह समझ से परे हैं। इसमें जिन देशों को शामिल किया गया है श्रीलंका उनमें नहीं है। हालांकि, श्रीलंका के हिंदुओं और भूटान के ईसाई लोगों को इसमें शामिल किया गया है। फिर इसमें श्रीलंका के तमिलों को क्यों शामिल नहीं किया गया है? मैं सरकार को खुली चुनौती देता हूं कि वह अटर्नी जनरल और कानून मंत्रालय को बिल के प्रावधानों पर जवाब देने के लिए बाध्य करें। मुझे उम्मीद है कि न्यायपालिका इस बिल को अवैध करार देगी और आइडिया ऑफ इंडिया को बचाएगी।

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