हिमाचल में भूस्खलन से हुई तबाही का अध्ययन करेंगे वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक

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हिमाचल की सांगला वैली और धर्मशाला में भूस्खलन से हुई तबाही का अध्ययन वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक करेंगे। उत्तराखंड सरकार के अनुरोध पर संस्थान के वैज्ञानिक भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने व दुष्प्रभाव को कम करने के बिंदुओं का अध्ययन करेंगे।वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विक्रम गुप्ता के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के सांगला वैली में भूस्खलन से हुए जानमाल के नुकसान के साथ ही धर्मशाला में पर्यटल स्थल मैक्लोडगंज से सटे भागसूनाग जलप्रपात वाले इलाके में बादल फटने से हुई तबाही का अध्ययन किया जाएगा। वैज्ञानिकों की टीमें जल्द ही सांगला वैली और धर्मशाला जाएगी।

डॉ. विक्रम गुप्ता के मुताबिक हिमाचल, उत्तराखंड समेत देश के तमाम हिमालयी राज्यों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं। भारत समेत पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन मेें आए बदलाव के चलते मानसून चक्र में भी अजीबोगरीब बदलाव देखने को मिल रहा है।

बेहद कम समय में कहीं-कहीं बहुत अधिक वर्षा हो रही है। इससे भी भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा हिमालयी राज्यों में सड़कों, राजमार्गों के निर्माण के साथ ही होने वाले अन्य विकास कार्यों के चलते पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। इससे भी भूस्खलन की घटनाओं में इजाफा हो रहा है।

उत्तराखंड में 43 जोन भूस्खलन के लिहाज से संवेदनशील

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग की ओर से 43 जोन भूस्खलन के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं। कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में 400 से अधिक गांवों में भूस्खलन का खतरा है।

इन गांवों के ग्रामीणों को भूस्खलन के संभावित खतरे से बचाने को लेकर सरकार, शासन के स्तर पर बैठकों का दौर तो चला, लेकिन अभी भूस्खलन संभावित इन गांव के ग्रामीणों को न तो भी विस्थापित किया गया है और न ही भूस्खलन प्रभावित जोन का वैज्ञानिक विधि से ट्रीटमेंट हो पाया है।

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