पश्चिम बंगाल में अब कार्यालयों पर कब्जे की जंग, ममता ने कमल का निशान मिटाकर खुद लिखा टीएमसी

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दिल्ली। पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में आए दिन अलग-अलग तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। आजकल बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पार्टी और भाजपा, दोनों एक दूसरे पर अपने कार्यालयों पर कब्जा, तोड़फोड़ और हिंसा करने का आरोप लगा रहे हैं। इसी बीच उत्तर 24 परगना के नैहाटी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनकी पार्टी कार्यालय पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद कार्यालय में बने भाजपा के कमल निशान को मिटाकर उन्होंने खुद अपनी तृणमूल पार्टी का चिह्न बनाया।

कमल का निशान मिटाने के बाद ममता ने कहा कि नैहाटी का वह दफ्तर तृणमूल का ही था, जिसे लोकसभा चुनाव के बाद बैरकपुर से जीते भाजपा सांसद अर्जुन सिंह और उनके समर्थकों ने हथिया लिया था। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि वो आसनसोल लोकसभा क्षेत्र की तरफ से ममता बनर्जी को गेट वेल सून कार्ड भेजेंगे। बाबुल सुप्रियो पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हैं। उन्होंने कहा कि ममता एक अनुभवी नेता हैं, लेकिन कुछ समय से उनके बर्ताव में असामान्य और अजीब सा बदलाव आया है। उन्हें पद की गरिमा के अनुसार दिमाग को स्थिर रखना चाहिए। उन्हें कुछ दिन आराम करना चाहिए। वे बंगाल में भाजपा की मौजूदगी से बौखला गईं हैं।

इधर रविवार को ममता बनर्जी ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी धर्म और राजनीति को गलत तरीके से मिलाकर धार्मिक नारों का इस्तेमाल कर रही है। हम आरएसएस के नाम पर इन राजनीतिक नारों का जबरदस्ती सम्मान नहीं कर सकते। संघ को बंगाल ने कभी स्वीकार नहीं किया। भाजपा के कुछ समर्थक मीडिया के एक धड़े का इस्तेमाल करके घृणा भरी विचारधारा को फैलाने की कोशिश में लगे हैं। ये कथित भाजपाई मीडिया फेक वीडियो, गलत खबरों के आधार पर भ्रम फैलाने और सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

मालूम हो कि नैहाटी आते समय ममता बनर्जी के काफिले के सामने भीड़ ने जय श्री राम के नारे लगाए थे, जिससे नाराज हो कर वो अपनी गाड़ी से उतर गई थीं और बाहर आ कर सभी को कार्रवाई की धमकी दी थी।

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