स्पीकर बिड़ला ने पहले ही दिन दिखाई सख्ती, बोले-परंपरा नहीं नियम से चलेगी लोकसभा 

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दिल्ली। लोकसभा के नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिड़ला ने पहले ही दिन सदन को अपने तेवरों का अहसास करा दिया। प्रश्नकाल में ज्यादातर सवाल पर दूसरे सदस्यों को पूरक सवाल पूछने का मौका नहीं दिया तो कार्यवाही के दौरान बातचीत करने वाले सांसदों को सख्त लहजे में गैलरी में जाकर बातचीत करने का निर्देश दिया। स्पीकर ने दो टूक शब्दों में नियम को पंरपरा के ऊपर बताया और कहा कि भविष्य में सदन की कार्यवाही परंपरा से नहीं नियम से चलेगी।
17वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले कामकाजी दिन नए स्पीकर ने कई सख्त संदेश दिये। मसलन पहली बार प्रश्नकाल के दौरान बेहद कम सदस्यों को पूरक सवाल पूछने का मौका मिला। सूची में सवाल जिनकेनाम से लगे थे, ज्यादातर उन्हीं सांसदों को सवाल पूछने का मौका मिला। हालांकि इस दौरान पॉक्सो एक्ट पर जब पूरक सवाल पूछने का मौका नहीं आया तो एनसपी की सुप्रिया सुले सहित कई सांसदों ने विरोध जताया। इस पर स्पीकर ने कहा कि वह प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा सवाल लेना चाहते हैं। उनकी कोशिश भविष्य में सूची में शामिल सभी 20 सवालों के जवाब कराने की है।
नाम लूंगा नहीं तो गैलरी में चले जाईये
प्रश्नकाल के बाद तीन तलाक बिल पेश होने के दौरान स्पीकर ने सदन में बातचीत कर रहे सांसदों को कड़ी फटकार लगाई। पहले तो उन्होंने सदन में बातचीत न करने की सलाह दी। स्थिति पहले की तरह रहने पर कहा कि वह ऐसे सदस्यों का नाम लेंगे, बेहतर हैं कि ऐसे सदस्य गैलरी में जा कर बातें करें। गौरतलब है कि स्पीकर द्वारा नाम लेने पर सांसद स्वत. दिन भर के लिए निलंबित हो जाते हैं।
परंपरा से बड़ा नियम इसी से चलेगा सदन
नई लोकसभा में सालों से चली आ रही पहले राष्ट्रपति केअभिभाषण पर चर्चा कराने की परंपरा इस बार टूट गई। सरकार ने पहले ही दिन तीन तलाक बिल पेश किया। इस बारे में स्पीकर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि परंपरा नियम से बड़ी नहीं होती। यह टूटती रहती है। भविष्य में लोकसभा परंपरा से नहीं नियम से चलेगी। 
वेल में हंगामा-नारेबाजी बर्दाश्त नहीं
स्पीकर ने कहा कि प्ले काड्र्स लहराना, वेल में हंगामा करना वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए जरूरत पड़ी तो नियम में संशोधन करेंगे। जहां तक बोलने का अवसर दिए जाने की बात है तो वह शून्य काल में सभी को बोलने का मौका देंगे। चाहे एक घंटे की जगह ढाई घंटे तक शून्यकाल चलाना पड़े।

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