कर्नाटकः येदियुरप्पा सरकार ने जीता विश्वास प्रस्ताव, विपक्ष ने नहीं की मत विभाजन की मांग

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बंगलूरू। कर्नाटक का सियासी नाटक पर फिलहाल विराम लग गया है। येदियुरप्पा सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। इसके लिए आवाज के द्वारा वोटिंग हुई। इस दौरान सदन में भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई। विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की।

इस बीच सीएम येदियुरप्पा ने कहा कि प्रदेश में सूखा पड़ा है। मैं किसानों को संबोधित करना चाहता हूं। मैंने राज्य की ओर से पीएम किसान योजना के तहत लाभार्थियों को 2000 रुपये की 2 किस्तें देने का फैसला किया है। मैं विपक्ष से अपील करता हूं कि हमें मिलकर काम करना चाहिए। मैं सदन से अपील करता हूं कि वे मुझ पर एकमत से विश्वास व्यक्त करें।

वहीं सिद्धारमैया ने सरकार को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं उन परिस्थितियों के बारे में बोल सकता था जिसके तहत येदियुरप्पा सीएम बने। मैं उनके अच्छे भविष्य की कामना करता हूं और उनके इस आश्वासन का स्वागत करता हूं कि वह लोगों के लिए काम करेंगे।

रविवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश ने दल बदल कानून के तहत कांगेस-जेडीएस के 14 और बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया है। यह कार्रवाई तब की गई, जब कर्नाटक में चैथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येदियुरप्पा को सोमवार को सदन में बहुमत साबित करना है। इससे पहले बीते बृहस्पतिवार को 3 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से येदियुरप्पा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को सदन में कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि 17 विधायकों (14 कांग्रेस और 3 जेडीएस) की अयोग्यता के साथ 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या अब 207 हो जाएगी। यानी अब बहुमत के लिए भाजपा सरकार को 104 सदस्यों का समर्थन चाहिए। जबकि एक निर्दलीय के साथ आने से भाजपा के पास 106 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब 66 (एक नामित भी शामिल), जेडीएस की 34 ही रह गई है।

दरअसल, अरसे से चल रहे कर्नाटक के सियासी नाटक में मंगलवार को उस वक्त मोड़ गया आ था, जब सदन में विश्वास मत परीक्षण के दौरान कुल 20 विधायक जिसमें 17 बागी विधायकों के अलावा कांग्रेस, बसपा के 1-1 विधायक और एक निर्दलीय विधायक अनुपस्थित रहे थे। इसके चलते 14 माह पुरानी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी। विश्वास मत परीक्षण में कुमारस्वामी के पक्ष में 99 और भाजपा के पक्ष में 105 वोट पड़े थे।

अब उपचुनाव में अग्निपरीक्षा
इस फैसले से 2023 में विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक ये 17 अयोग्य विधायक विधानसभा का उपचुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। हालांकि, अगर समय से पहले विधानसभा भंग हुई तभी 2023 से पहले ये फिर से विधायक बन सकते हैं। वहीं, फिलहाल भाजपा को वैसे तो कोई खतरा नहीं है, मगर उपचुनाव होने की स्थिति में उसे बहुमत बनाए रखने के लिए 17 सीटों में से कम से आधी तो जीतनी होगी।

दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया, इसलिए अयोग्यः स्पीकर

विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा, तीनों सदस्यों ने स्वेच्छा से और सही तरीके से इस्तीफा नहीं दिया, इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया गया। विधायकों ने संविधान (दलबदल विरोधी कानून) की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का उल्लंघन किया, इसलिए अयोग्य करार दिए गए।

विधानसभा अध्यक्ष को भी छोड़ना होगा पद

इससे पहले भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को पद छोड़ने के लिए कह दिया है जो पारंपरिक तौर पर सतारूढ़ पार्टी के किसी सदस्य के पास होता है। अगर वह सोमवार को स्तीफा नहीं देते हैं तो भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।

अयोग्य करार दिए गए विधायक जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

अयोग्य करार दिए गए जेडीएस विधायक एएच विश्वनाथ ने स्पीकर के फैसले को कानून विरोधी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ व्हिप जारी करके विधायकों को जबरन सदन में आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। हम फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

भाजपा बोली, यह कानून का उल्लंघन
भाजपा नेता गोविंद करजोल ने कहा कि यह दुर्भावना से प्रेरित और दोषयुक्त आदेश है। बागी विधायक इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, जहां उन्हें निश्चित तौर पर इंसाफ मिलेगा। विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया था, जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए था।

कर्नाटक कांग्रेस ने कहा, लोकतंत्र की जीत

इस फैसले का कर्नाटक कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा कि जनता की अदालत अपनी पार्टी से धोखा करने वाले इन विधायकों को उचित सजा देगी। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा, स्पीकर का फैसला लोकतंत्र की जीत है। मेरा मानना है कि यह निर्णय स्वार्थी उद्देश्यों और सत्ता के लालच के लिए सार्वजनिक जनादेश की अवहेलना करके खुद को बेचने की कुत्सित संस्कृति को समाप्त कर देगा।

येदियुरप्पा बोले, 100 फीसदी साबित करूंगा बहुमत

बहुमत परीक्षण से एक दिन पहले बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि उनकी सरकार सदन में 100 फीसदी बहुमत साबित करेगी। वित्त विधेयक को तत्काल पारित होना जरूरी है अन्यथा हम किसी काम के लिए पैसे नहीं निकाल पाएंगे यहां तक कि कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा। बहुमत साबित होने के बाद हमारा पहला कदम इसे पारित कराना होगा। पूर्ववर्ती कांग्रेस-जेडीएस सरकार ने इसे तैयार किया था, मगर हम इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं करेंगे।

अब तक ये विधायक हुए अयोग्य
25 जुलाई को रमेश जारकिहोली (कांग्रेस), महेश कुमतल्ली (कांग्रेस), आर शंकर (निर्दलीय) को अयोग्य घोषित किया गया था। वहीं, 28 जुलाई को जेडीएस के एएच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा और के गोपालैया और कांग्रेस के प्रताप गौड़ा पाटिल, शिवराम हेब्बर, बीसी पाटिल, बयराती बासवराज, एसटी सोमशेखर, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रोशन बेग, आनंद सिंह और मुनिरत्ना अयोग्य करार दिए गए।

गठबंधन का भविष्य कांग्रेस हाईकमान पर निर्भरः देवगौड़ा

इस बीच, जेडीएस के संरक्षक और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रविवार को कहा है कि उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन का भविष्य कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के कहने पर ही कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने के लिए राजी हुए थे। देवगौड़ा ने साफ किया कि उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी नहीं, बल्कि कांग्रेस के सिद्धारमैया ही आधिकारिक तौर पर राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता होंगे।

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