1950 से ही चीन के कब्जे में है अक्साई चिन, जिसे अमित शाह ने बताया जम्मू-कश्मीर का हिस्सा

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दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का प्रस्ताव मंगलवार को संसद में पारित हो गया। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन सहित संपूर्ण जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।

शाह ने कहा कि जब भी मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो पीओके और अक्साई चिन भी इसी के अंदर आता है। उन्होंने कांग्रेस को कहा कि आप क्या बात कर रहे हैं, हम इसके लिए जान भी दे देंगे। अमित शाह के इस बयान के बाद से अक्साई चिन शब्द चर्चा में आ गया। इसका नाम तो कई लोगों ने सुना होगा लेकिन इसकी जानकारी कम लोगों को ही है। तो चलिए जानते हैं इस क्षेत्र के बारे में।

जम्मू-कश्मीर का 15 फीसदी हिस्सा
अक्साई चिन जम्मू-कश्मीर का 15 फीसदी हिस्सा है। इस स्थान पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है। एक तरफ शाह ने लोकसभा में अक्साई चीन को भारत का हिस्सा बताया है, वहीं दूसरी तरफ चीन हमेशा से ही दावा करता रहा है कि अक्साई चिन झिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा है।

पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित
अक्साई चिन समुद्रतल से करीब पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक साल्ट फ्लैट विशाल रेगिस्तान है। यहां का क्षेत्रफल 37 हजार 244 स्क्वायर मीटर है। इस क्षेत्र पर साल 1950 से ही चीन ने कब्जा किया हुआ है। चीन ने इस क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया है।

वहीं पीओके पर पाकिस्तान ने साल 1947 से कब्जा किया हुआ है। इसे अब आजाद कश्मीर कहा जाता है। लेकिन इसपर शासन पाकिस्तान ही करता है। ये क्षेत्र पूरे कश्मीर का 30 फीसदी हिस्सा है। जहां कश्मीरी मूल से अधिक पंजाब के नागरिक रहते हैं। ये क्षेत्र 78 हजार 114 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर राज्य का पुनर्गठन कर जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया था। इसपर तीखी बहस हुई। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने नियमों का उल्लंघन करते हुए रातोंरात एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है।

सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम सांसदों ने इस संकल्प पर अपने विचार रखे। लोकसभा में लंबी बहस के बाद आखिरकार लोकसभा में भी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पास कर दिया गया। गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के बाद इस पर वोटिंग हुई। इसके समर्थन में 366 वोट और विरोध में 66 वोट पड़े।

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