आईएलएंडएफएस केसः प्रवर्तन निदेशालय ने राज ठाकरे को भेजा समन, पार्टी ने बतया हिटलरशाही

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खास बातें

-आईएलएंडएफएस ने विभिन्न कंपनियों को 95 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया

-ईडी ने समूह के वित्तीय संकट के लिए शीर्ष प्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार

-कर्ज में डूबी है आईएलएंडएफ

-कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवरों का निर्माण मामले में पूछताछ करना चाहती है ईडी

दिल्ली। 91000 करोड़ से अधिक के आईएलएंडएफएस मामले में मनी लान्ड्रिंग के आरोप की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी के बेटे अनमेश जोशी को तलब किया है।

सूत्रों के मुताबिक, राज ठाकरे को गुरुवार को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है। ईडी दादर के कोहिनूर स्क्वॉयर टॉवरों का निर्माण करने वाली कोहिनूर सीटीएनएल में आईएलएंडएफएस समूह द्वारा 860 करोड़ रुपये ऋण और इक्विटी निवेश की जांच कर रही है।

वहीं इसपर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता संदीप देशपांडे ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 5-6 वर्षों में भाजपा के किसी भी शीर्ष नेता के खिलाफ कोई ईडी जांच नहीं हुई है। हम ‘हिटलरशाही’ के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

वहीं, शिवसेना नेता मनोहर जोशी के बेटे अनमेश जोशी ने कहा कि मुझे एक नोटिस मिला है और मैं आज प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से मिलने आया हूं। ईडी द्वारा मुझे कोई प्रश्नावली नहीं भेजी गई थी। मैं उनके साथ जांच में सहयोग करूंगा।

आईएलएंडएफएस मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएलएंडएफएस ऋण भुगतान मामले में मुंबई की विशेष कोर्ट में पहला आरोप पत्र दाखिल कर दिया। ईडी के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि आरोप पत्र धनशोधन रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत दाखिल किया गया। ईडी इस मामले में 570 करोड़ रुपये की संपित्त अटैच कर चुका है। इस मामले में एक और आरोप पत्र दाखिल हो सकता है।आरोप पत्र में मौजूदा वित्तीय हालत के लिए आईएलएंडएफएस के निदेशकों तथा अन्य शीर्ष अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण को जिम्मेदार ठहराया गया है। ईडी ने धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोपी अधिकारियों की संपित्त अटैच करने का अनंतिम आदेश दिया है।

दिल्ली पुलिस की शिकायत पर दर्ज किया था मामला
ईडी ने इस साल फरवरी में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की एफआईआर के आधार पर धनशोधन का मामला दर्ज किया। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा कि समूह के शीर्ष अधिकारी कमीशनखोरी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त थे। यह कंपनी की लागत पर निजी लाभ कमा रहे थे।

इन्होंने समूह के नियमों को तोड़ते हुए साठगांठ के जरिये ऐसी कंपनियों को भारी ऋण दिया जिन पर पहले से कर्ज बकाया था। शिवशंकरन के साथ साजिश कर शिवा समूह की कंपनियों को कथित तौर पर गलत ढंग से कर्ज दिया गया जिसमें 494 करोड़ रुपये अभी भी बकाया हैं।

बैलेंस शीट में भी की गड़बड़ी
ईडी ने आरोपपत्र में कहा है कि निदेशकों ने अपने फायदे के लिए आईएफआईएन के खातों में भी घपला किया। ‘सर्किट्स ट्रांजेक्शन’ के तहत समूह की बैलेंस शीट में कंपनी का प्रदर्शन बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान आईएफआईएन का प्रदर्शन नकारात्मक रहा लेकिन अधिकारियों के लिए कंपनी के बेहतर कार्य प्रदर्शन आधारित भुगतान और कमीशन में भारी वृद्धि की गई।

रियायती दर पर दिए समूह के शेयर
ईडी के मुताबिक आईएलएफएस लिमिटेड के शेयरों को रियायती दर पर कर्मचारी कल्याण ट्रस्ट को हस्तांतरित किया गया। जिन्हें बाद में भारी प्रीमियम पर समूह के बाहर विभिन्न संस्थाओं को बेचा गया। इससे मिली रकम कर्मचारियों को नकद बांटी गई, जिसका बड़ा हिस्सा शीर्ष प्रबंधन को मिला।

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