देश के लिए फुटवाल खेलना चाहती है पत्थरबाज युवती

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श्रीनगर:  कश्मीर में पत्थरबाजी में शामिल अनेक युवतियां पत्थरबाजी नहीं देश के लिए फ़ुटबाल खेलना चाहती हैं.

दरसल, कश्‍मीर में विगत सोमवार को पुलिस पर पथराव करने वाली छात्रों की भीड़ में कुछ लड़कियां भी शामिल थीं. इन्हीं में से एक कश्‍मीर की पहली महिला कोच 21 वर्षीय अफशां आशिक ने कहा, ‘हां, मैंने पथराव किया था त्थरबाजी की थी, लेकिन यह मैं नहीं करना चाहती थी, मैं राष्‍ट्रीय स्‍तर पर देश के लिए फुटबॉल खेलना चाहती हूं.’

प्राप्त जानकारी के अनुसार गवर्नमेंट वूमंस कॉलेज में बीए सेकंड इयर की छात्रा अफशां और कोठी बाग के गवर्नमेंट हायर सेकंडरी स्कूल की उनकी 20 लड़कियों की टीम सोमवार को जब फुटबॉल के अभ्‍यास के लिए मैदान में पहुंचने वाली थीं तब उन्होंने कुछ लड़कों को पुलिस पर पथराव करते हुए देखा. ये लड़के पिछले सप्ताह पुलवामा डिग्री कॉलेज में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. अफशां ने कहा, ‘ तभी पुलिस को लगा कि हम वहां पथराव के लिए खड़े हैं. पुलिस के एक जवान ने तो हममें से एक लड़की को थप्पड़ तक मारा, और इसके बाद ही हमें गुस्‍सा आ गया और हमने पथराव शुरू कर दिय.। जबकि पुलिस के अनुसार, लड़कियों ने पुलिस को हारता हुआ देख पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था. अधिकारी ने आगे कहा, ‘पुलिस और सीआरपीएफ ने नियंत्रण बनाए रखा, जिसका सबूत यह है कि किसी को चोट नहीं लग.’

कॉलेज की प्रोफेसर शगुफ्ता यावस के अनुसार, एसपी हायर सेकेंडरी स्‍कूल के लड़कों के एक ग्रुप ने सोमवार को कॉलेज की दीवार तोड़ दी और भीतर घुसकर लड़कियों को पथराव में शामिल होने को उकसाया. यावस ने बताया, मात्र कुछ लड़कियों ने ही पथराव में उनका साथ दिया.

जिस लड़की को पुलिस ने थप्पड़ मारा था उसने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा, ‘मैंने भी पत्थर फेंके थे. आर्मी, सीआरपीएफ और पुलिस से नाराज हूं, मैंने वह विडियो देखा जिसमें सीआरपीएफ एक महिला को पीट रही थी. मैं उनपर पत्थरबाजी करने के लिए तैयार हूं.’  उसने अपने दोस्तों की सोच भी बताई. वह बोली, लड़कों के खून से तो आजादी मिली नही, शायद अब लड़कियों के खून से आजादी मिलेगी… , मेरे कुछ दोस्तों ने यह सोचकर पत्थरबाजी की’ घाटी में इसी तरह के झूठ से निर्दोषों बरगलाया जा रहा है.

 

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