बाजपुर में बीस गांव की भूमि को लेकर सड़कों पर उतरा जन सैलाब, कृषि उत्पादन मंडी समिति परिसर पहुंचे हजारों लोग

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बाजपुर: बहुचर्चित 20 गांव की भूमि से छीने गए मालिकाना हक वापस देने की मांग को लेकर जन सैलाब सड़कों पर उतर आया। हजारों की संख्या में महिला-पुरुष व बच्चे मंडी परिसर से रैली की शक्ल में नारेबाजी करते हुए तहसील पहुंचकर बेमियादी धरना शुरू कर दिया, जिसे सत्याग्रह का नाम दिया है।

विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक व किसान संगठनों के जनप्रतिनिधियों के साथ ही प्रभावित किसान, मजदूर, व्यापारी समेत हजारों की संख्या में लोग मंगलवार को कृषि उत्पादन मंडी समिति परिसर में एकत्र हुए। जहां से बाजपुर भूमि बचाओ मुहिम व संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान व बैनर तले रैली की शुरुआत की गई, जो चीनी मिल रोड, गुरुद्वारा साहिब, इंटर कालेज मार्केट, भगत सिंह चौक, बेरिया मोड़ से होते हुए तहसील परिसर में पहुंचे और अनिश्चितकालीन सत्याग्रह धरना शुरू कर दिया गया।

धरने के दौरान वक्ताओं ने सरकार पर जमकर साधा निशाना
पहले दिन ग्राम प्रधान संघ के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष रजनीत सिंह सोनू अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे। इस दाैरान वक्ताओं ने सरकार पर जमकर हमले किए तथा तानाशाही रवैया अपनाने एवं जनविरोधी काम करने का आरोप लगाया।

कहा कि जब तक सरकार बाजपुर के बीस गांवों की भूमि पर काबिज लोगाें को भूमिधरी का अधिकार वापस नहीं देती है, यह आंदोलन जारी रहेगा। कार्यक्रम का संचालन भूमि बचाओ मुहिम के संयोजक जगतार सिंह बाजवा ने किया।

मौके पर उत्तराखंड विधानसभा में उपनेता समेत सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष मौजूद
इस मौके पर उत्तराखंड विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी, कांग्रेस पीसीसी सदस्य रंजीत सिंह रावत, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा, ब्लाक प्रमुख पति राजकुमार, किसान नेता अजीत प्रताप सिंह रंधावा, बिजेंद्र डोगरा, समीर पाठक, दर्शन लाल गोयल, आप नेता सुनीता टम्टा बाजवा, हरमंदर सिंह बरार, उद्दयन कपूर, वरुण कपूर, सतनाम सिंह रंधावा, सत्यवान गर्ग, गणेश राय खुल्लर, संजय मित्तल, अशोक गोयल, निरंजनदास गोयल, विक्की रंधावा, प्रताप सिंह संधू, हरप्रीत निज्जर, आइपी बरार, जसवीर भुल्लर, हरमीत सिंह बड़ैच, महिपाल सिंह यादव, राजेंद्र बेदी, गुरदेव लाहोरिया, सुरजीत अग्निहोत्री, रेशम यादव, भगवंत म्यान, अचल काेरंगा आदि सैकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष मौजूद थे।

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