ये दो भाई बने स्वरोजगार की मिसाल, 30 ग्रामीणों को गांव में ही दिया रोजगार

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उत्तरकाशी। रोजगार के लिए पहाड़ से पलायन की कहानी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन, कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं जो गांव में रहकर स्वरोजगार और उन्नति की राह बता रहे हैं तथा एक मिसाल कायम कर रहे हैं। इसी तरह की मिसाल कायम की है उत्‍तरकाशी जनपद के सिंगोठ गांव के युवा विनय कलूड़ा और नीरज कलूड़ा।

गांव में ही कुछ नई तकनीकी सीख और कुछ पारंपरिक तरीके अपनाकर स्वरोजागर जोड़ा। जिसकी बदौलत वे खुद भी कमा रहे हैं और गांव के 30 ग्रामीणों को भी रोजगार दे रहे हैं। किसी को मछली पालन में लगाया है तो किसी को बेमौसमी सब्जी उत्पादन में। गांव की गरीब विधवा महिलाओं से लेकर घोड़े खच्चर वालों को भी रोजगार से जोड़ा है। विनय कलूड़ा ने बताया कि प्रतिवर्ष 20 से 25 कुंतल ट्राउट मत्स्य का उत्पादन किया जा रहा है। जिससे उनको लगभग 10 लाख रुपये सालाना आय प्राप्त हो रही है। इसके अलावा ट्राउट मत्स्य बीज का भी उत्पादन कर जनपद उत्तरकाशी व टिहरी के मत्स्य पालकों को उपलब्ध कराया जा रहा है। मत्स्य बीज से भी उनको लगभग 5 लाख रुपये की सालाना आय हो रही है।

सिंगोठ गांव उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर सड़क से जुड़ हुआ है। इस गांव को जोड़ने वाली सड़क नाकुरी सिंगोठ की स्थित भले ही खस्ताहाल है पर, सुरम्य घाटी में बसा सिंगोठ गांव समृद्धि की चहल-पहल से गुलजार है। इस गांव के दो भाई नीरज और विनय कलूड़ा ने गांव में ही रोजगार और विकास की उम्मीदों को पंख लगा रहे हैं। इसकी सीख इन्होंने अपने पिता उम्मेद सिंह कलूड़ा से ली है।

2020 में पिता के निधन के बाद इन दोनों युवाओं ने पहाड़ में रहकर स्वरोजगार अपनाया है। साथ ही मछली पालन करने के लिए मत्स्य विभाग से प्रशिक्षण लिया। वर्ष 2014 में गांव के गदेरे के पानी से ही ट्राउड पालन के लिए तीन तालाब बनाए। वर्ष 2016 से ट्राउड का का उत्पादन किया। हर वर्ष 20 से 25 कुंतल ट्राउड का उत्पादन हो रहा है, जबकि कामन क्राप, ग्रास क्राप, सिल्वर क्राप, चाइनिज क्राप प्रजाति के लिए आठ तालाब बनाए हैं। इन मछलियों का हर वर्ष 10 कुंतल उत्पादन हो रहा है। मछली के तालाब तैयार करने में मत्स्य विभाग ने भी उनका सहयोग किया।

30 ग्रामीणों को दे रहे हैं रोजगार

नीरज कलूड़ा ने पोस्ट ग्रेजुएट तक पढ़ाई की है। नीरज कलूड़ा मछली पालन का कार्य देखते हैं। जबकि, विनय सिंह कलूड़ा ने सिविल इंजीनियरिंग की है। विनय सिंह कलूड़ा मछली पालन के साथ मार्केटिंग की व्यवस्था देखते हैं। विनय कलूड़ा कहते हैं कि उन्होंने गांव 30 ग्रामीणों को रोजगार दिया है। जो मछली पालन, पशुपालन, फल उत्पादन, सब्जी उत्पादन और होटल व्यवसाय से जुड़े हैं। इनके अलावा गाड़ी और खच्चर वालों को भी रोजगार मिला है।

फल एवं सब्जी उत्पादन

नीरज सिंह कलूड़ा बताते हैं कि गांव में करीब एक हेक्टेयर में आडू, अखरोट, खूमानी, नीबू, नास्पाति का बागीचा है। साथ ही अच्छा सब्जी उत्पादन भी हो रहा है। जिसमें पाली हाउस से बेमौसमी सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इसके आलू, अरबी, अदरक, हल्दी, मशरूम का उत्पादन भी किया जा रहा है। इसके अलावा गांव के निकट नाकुरी के पास होटल भी संचालित हो रहा है।

पशुपालन का भी है माडल

दोनों युवाओं ने सिंगोठ गांव में पशुपालन का भी माडल तैयार किया है। इनके पास 300 भेड़ बकरी, दो गाय, बैल तथा दो भैंस भी है। जिससे वे दूध, घी बेचते हैं तथा इन पशुओं के गोबर से जैविक खाद से तैयार करते हैं।

ट्राउड की मांग है अधिक

विनय सिंह कलूड़ा बताते हैं कि ट्राउड मछली पालन के लिए साफ पानी के साथ रनिंग वाटर चाहिए। पानी का तापमान भी कम होना चाहिए। साल में दो बार ट्राउड का उत्पादन होता है। ट्राउड की मांग बहुत अधिक है तथा आठ सौ रुपये किलो उनके गांव में बिक जाती है। इसके अलावा देहरादून, मसूरी और चंडीगढ़ से भी काफी मांग है।

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