हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला-गाजियाबाद 2017; स्वामी हंसदेवाचार्य ने किया शुभारम्भ

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गाजियाबाद (विसंकें) : गाजियाबाद में 14 से 17 दिसम्बर को हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित किया गया. मेले का प्रारम्भ प्रकृति वन्दन के साथ हुआ. उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि हिन्दू एक विचार और संस्कृति है. व्यक्ति जब विचारवान होता हैसंस्कारिता होता हैतो परिवारसमाज एवं देश को सम्भाल लेता है. इस विचार और संस्कार के कारण हिन्दू ने सदैव मानव से लेकर पशु-पक्षी एवं प्रकृति में सभी के कल्याण भाव से सेवा की है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान के अखिल भारतीय समन्वयक गुणवन्त कोठारी जी ने मेले के 06 बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये छह बिन्दु भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिये अति आवश्यक हैं. इन छह मूल सिद्धांतों को स्कूलों में स्वैच्छिक अनिवार्यता के साथ पढ़ाया जाना चाहिये. प्रकृति पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्म चिवांग नोर्पेहृल जी, पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला जी ने पौधों का पूजन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.

मेले में दूसरे दिन शिक्षकों एवं गुरुजनों के प्रति आदरभाव की परम्परा को पुनरूस्थापित करने के लिये आचार्य वन्दन कार्यक्रम हुआ. जिसमें 150 विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा 840 गुरुओं का पूजन किया गया. कार्यक्रम को सोमकान्त शास्त्री जी ने वैदिक रीति से सम्पन्न करवाया. क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में ओलम्पियन सत्यदीप जी (तीरंदाजी)मनोज जी, गुरुदेव जी (एथेलिटिक्स)हरिदत्त जी (संगीत)गणेश दत्त जी (संस्कृत) आचार्य आदि विभिन्न विधाओं के गुरुओं का उनके शिष्यों द्वारा पूजन किया गया. नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन बलदेव भाई शर्मा जी, स्वामी शांतानन्द महाराज जी मुख्य अतिथि रहे.

गाजियाबाद (विसंकें). गाजियाबाद में 14 से 17 दिसम्बर को हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला आयोजित किया गया. मेले का प्रारम्भ प्रकृति वन्दन के साथ हुआ. उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि हिन्दू एक विचार और संस्कृति है. व्यक्ति जब विचारवान होता हैसंस्कारिता होता हैतो परिवारसमाज एवं देश को सम्भाल लेता है. इस विचार और संस्कार के कारण हिन्दू ने सदैव मानव से लेकर पशु-पक्षी एवं प्रकृति में सभी के कल्याण भाव से सेवा की है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान के अखिल भारतीय समन्वयक गुणवन्त कोठारी जी ने मेले के 06 बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये छह बिन्दु भारत को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिये अति आवश्यक हैं. इन छह मूल सिद्धांतों को स्कूलों में स्वैच्छिक अनिवार्यता के साथ पढ़ाया जाना चाहिये. प्रकृति पूजन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्म चिवांग नोर्पेहृल जी, पर्यावरणविद भरत झुनझुनवाला जी ने पौधों का पूजन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.

मेले में दूसरे दिन शिक्षकों एवं गुरुजनों के प्रति आदरभाव की परम्परा को पुनरूस्थापित करने के लिये आचार्य वन्दन कार्यक्रम हुआ. जिसमें 150 विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा 840 गुरुओं का पूजन किया गया. कार्यक्रम को सोमकान्त शास्त्री जी ने वैदिक रीति से सम्पन्न करवाया. क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में ओलम्पियन सत्यदीप जी (तीरंदाजी)मनोज जी, गुरुदेव जी (एथेलिटिक्स)हरिदत्त जी (संगीत)गणेश दत्त जी (संस्कृत) आचार्य आदि विभिन्न विधाओं के गुरुओं का उनके शिष्यों द्वारा पूजन किया गया. नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन बलदेव भाई शर्मा जी, स्वामी शांतानन्द महाराज जी मुख्य अतिथि रहे.

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