किताबो के बजाय छत पर टीकी रहती है छात्रो की नजर

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देहरादून।     देहरादून जिले के त्यूणी के देवघार क्षेत्र के अटाल स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में छात्रों के उपर खतरा मंडरा रहा है। दशकों पुराने गिरासू स्थित वाले जर्जर भवन में पढ़ाई करने को मजबूर नौनिहालों की एक नजर किताब पर और दूसरी स्कूल की छत पर टिकी रहती है।
ग्रामीणों ने सौ से अधिक की छात्र संख्या वाले इस विद्यालय भवन की हालत सुधारने को सरकार व स्कूल प्रबंधन समिति से कार्रवाई की मांग की है। जिससे बच्चे सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सकें। सीमांत तहसील त्यूणी क्षेत्र के अटाल पंचायत की सीमा हिमाचल से सटी है। जौनसार-बावर के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के चलते अधिकांश लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों के बजाय प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। निजी स्कूलों में तेजी से बढ़ती छात्रसंख्या की वजह से राजकीय विद्यालयों को कड़ी चुनौती मिल रही है। इसी कड़ी में देवघार क्षेत्र के अटाल पंचायत में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में 110 ग्रामीण छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।

जिन्हें पढ़ाने के लिए प्रधानाचार्य समेत सात शिक्षकों का स्टाफ है। लेकिन दशकों पुराने विद्यालय भवन की हालत जर्जर होने से नौनिहालों के सिर पर हर वक्त खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सौ से अधिक की छात्रसंख्या वाले इस विद्यालय भवन की छत और दीवारें समय के साथ अब जबाव दे रही है। जिससे गिरासू स्थित वाले जर्जर भवन की छत का प्लास्टर क्लास रूम में गिरने लगा है।
जिससे यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। युवा कल्याण समिति अध्यक्ष एवं पुरातन छात्र बसंत शर्मा, एसएमसी अध्यक्ष देवानंद शर्मा, प्रबंधक दुलाराम शर्मा, संरक्षक खुशीराम उनियाल व जसराम शर्मा आदि ने सरकार से नौनिहालों की सुरक्षा को जर्जर भवन की हालत सुधारने को आर्थिक सहयोग मांगा है। जिससे नौनिहाल सुरक्षित माहौल में पढ़ाई कर सकेंगे। लोगों ने सरकार से ग्रामीण अंचल में शिक्षा व्यवस्था सुधारने को राजकीय विद्यालयों की तरह निजी स्कूलों के विकास को बजट मुहैया कराने पर जोर दिया।

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