कश्मीरियों के जख्म को हल्का करने का काम किया मोदी सरकार ने

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देहरादून। संवाददाता। केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर कश्मीरियों में भी जबरदस्त उत्साह है। सन 1947 में जम्मू-कश्मीर मुजफ्फराबाद वर्तमान में पाकिस्तान से देहरादून के डोईवाला में बसे कश्मीरियों ने इस फैसले की सराहना की है।

90 वर्षीय सीतादेवी भसीन और 80 वर्षीय उनके भाई गिरधारी लाल साहनी का कहना है कि 1947 के गदर में उनके पिता स्वर्गीय ईश्वर दास साहनी को अपने कपड़े का कारोबार छोड़कर परिवार के साथ जान बचाने को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था। तब वह छोटे थे। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर का वह क्षेत्र अब पाकिस्तान के कब्जे में है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीरियों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला फैसला किया है।

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